Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati Author(s): Publisher: View full book textPage 9
________________ Sho Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri senfandir Jain Aradhana ल्मीकिसहनारदेनमुनिनावाग्देवतावल्लभंसीतालक्ष्मणवायुसूनुसहितं श्रीराम चंद्रभजे ॥३॥वामेभूमिसुतापुरस्तुहनुमान्पश्चात्सुमित्रासुतः शत्रुघ्नोभरतश्च पार्श्वदलयोर्वायव्यकोणादिषु॥ सुग्रीवश्वविभीषणश्चयुवराट्तारासुतोजाम्बवा न्मध्येनीलसरोजकोमलरुचिंरामभजेश्यामलं // 4 // नीलांभोधरकांतिकायम निशंवीरासनाध्यासिनमुद्रांज्ञानमयींदधानमपरंहस्ताम्बुजंजानुनि // सीतांपा गतांसरोरुहकरांविद्युनिभराघवंपश्यंतंमुकुटांगदादिविविधैः कल्पोज्ज्वलां गंभजे ॥५॥इतिमगलम॥अथदीक्षामाहात्म्यं विष्णुयामलादिव्यंज्ञानंय तोदद्यात्कुर्यात्पापस्यसंक्षय। तस्माद्दीक्षेतिसाप्रोक्तादेशिकैस्तंत्रकोविदैः॥३॥ तोगुरुंप्रणम्यैवसर्वस्वंविनिवेद्यच ॥गृह्णीयाद्वैष्णवमंत्रंदीक्षापूर्वविधानतः॥२॥ स्कांदे ब्रह्मनारदसंवादे॥ ॥तपस्विनः कर्मनिष्ठाः श्रेष्ठास्तेवैनरा वि // For Private And PersonalPage Navigation
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