Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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Page 37
________________ Shri Wert Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri indir 杂杂***********於 मनोखिलमोहयंत्रं // सौभाग्यसारसरणंचदधत्रिकोणंवंदे० // 12 // रामेति / वाचममलांसकृदप्यकस्मात्प्राणात्ययेपिवदतोंतिकमागतांस्तान् // हंतुंयमस्य वशगान्धनुषंदधानंवंदे०॥१॥ नारायणेतिगिरमुद्रितःकदाचिन्मयान्पिधा / यबलवत्तरकालचक्रात् // गोप्तुंदधद्भयजडार्तिहरंसुवासंवंदे०॥३४॥सर्वविहाय / विषयंपुरुषाश्रयमांयस्तेनदुर्जयतरोपिजितोभवाब्धिः॥ इत्थंजनायजयदंजल। जंदधानंवंदे० // 15 // भग्नोनखांचलरुचाविधुरईमस्यभातीरिगंनिजजनश्रुति निःसृतंसत् // इंदुंदधानमपरंशरणागतंतहंदे // 16 // गोपालनेनचलतःपुरुषो त्तमस्यलग्नंसुभृत्यजनवत्सलताप्तिमन्तुः // संसारसिंधुमतिगोष्पदमादधानंव / न्दे॥१७॥ संध्यायतोनिजपदंगमनेनुकूलंमत्स्यंसुमंगलतरंसकलेष्टदोहम् // आनन्दपूर्णममलंचघटंदधानंवन्दे // 18 // // इतिश्रीअगस्त्यमुनिकृतंरघु *****界 * For Private And Personal

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