Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
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________________ Shri Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri handir वने॥ हारवत्यांशुमेरम्येवासुदेवहृदिस्तथा // 2 // सिंधुतीरेचवल्मीकेहरिक्षेत्रे विशेषतः॥ विष्णोः पादोदकंयत्रप्रवाहयतिनित्यशः // 3 // गृहीत्वामृत्तिका भक्त्याविष्णुपादजलैः सह ॥धृत्वापुंड्राणिचांगेषुविष्णुसायुज्यमाप्नुयात्॥४॥ मत्प्रियाथैशुभार्थवारक्षार्थचतुरानन ॥मत्पूजाहोमकालेचसायंप्रातःसमाहितः Miln5 // द्वादशपुंड्राणिविप्राणांवैष्णवानांतथैवच // पुंइंधारयेहिधिवद्धरिद्रासंयुतं शुभम्॥६॥ चत्वारिभूभृतांप्रोक्तंपुडाणिहेविशांस्मृतम् // एकंपुंडूंतुनारीणांशू द्राणांतुविधीयते // 7 // ललाटेहदिबाहौचचतुःपुंड्राणिधारयेत् // ललाटेहद यहेतुभालेत्वेकंविधीयते // 8 // ऊर्ध्वपुंडललाटेतुसर्वेषांप्रथमंस्मृतम् // मूर्त / / योवासुदेवाद्याश्चतुःपुंड्रेषुधारयेत् // 9 // योगोंविंदकृष्णौनुएकनारायणंधरे / त् // एवंपुंड्रविधिः प्रोक्तः सर्वेषांगिरिजेमया // 10 // आरभ्यनासिकामूले For Private And Personal

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