Book Title: Bruhad Vedoktarampaddhati
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri M ar Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailashsagarsuri G endir IN कृत्वामर्त्यमयींतनुं // मग्नानुदरतेलोकान्कारुण्याच्छास्त्रपाणिना // 10 // त रा.प. स्माद्भक्तिर्गुरौकार्यासंसारभयभीरुणा // 31 // ॥आलुवंदारताप्ये॥ // मंत्र तद्देवतायांचतथामंत्रप्रदेगुरौ॥ त्रिषुभक्तिःसदाकार्यासाहिप्रथमसाधनम्॥१२॥ चक्षुर्गम्यंगुरुत्यकाशास्त्रगम्यंतुयःस्मरेत् // हस्तस्थमुदकंत्यत्काघनस्थमभि / वांछति // 13 // सुलअंतंगुरुंत्यत्कादुर्लभंयदुपासते॥बुद्धत्यत्काधनंमूढोगुप्त मन्वेषतिक्षितौ // 14 // मंत्रनाथंगुरूंमंत्रंसमत्वेनाभिपूजयेत् // 15 // ॥महा। भारत॥ ॥योदद्याद्भगवज्ज्ञानकुर्याहाधर्मदर्शनम् // कृत्स्नांचपृथिवींदद्यान्नत / तुल्यंकथंचन।।१६॥ ॥तंत्र॥ योगुरुःसहरिःसाक्षाद्योहरिःसगुरुःस्वयं॥ रुगु यस्यभवेत्तुष्टस्तस्यतुष्टोहरिःस्वयं ॥१७॥प्रपन्नामृतवररंगाचार्यवाक्यंरामा नुजंप्रति॥॥गुरुरेवपरंब्रह्मगुरुरेवपरंधनम् // गुरुरेवपरःकामोगुरुरेवपरायणः 於***路路路路路路路路路路路路路路路路路路路 For Private And Personal

Page Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135