Book Title: Bina Nayan ki Bat Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 8
________________ इस पथ का पथिक हो सकता है। ऐसा ही एक इन्सान हुआ, जिसने उन घंटियों की आवाज को सुना और चल पड़ा। बाकी लोग किनारे पर खड़े रहे। एक आत्मा, एक इन्सान, उसने लंगर खोला और चल पड़ा। उसी साधक के बारे में आज मैं चर्चा करना चाहता हूं। वह साधक और कोई नहीं, एक सन्त, एक महन्त, एक अरिहन्त - वह है राजचन्द्र। श्रीमद् राजचन्द्र, गांधी के गुरु । जो लोग श्रीमद् की पूजा कर रहे थे, वे श्रीमद् नहीं बन पाये । वे श्रीमद् के शास्त्रों को पढ़ते रहे, लेकिन श्रीमद् नहीं हो पाये। पर जो व्यक्ति चल पड़ा, रास्ते के खतरों का सामना करने के लिए, जीवन के मूल्यों से संघर्ष करने के लिए, वही व्यक्ति अपने भीतर छिपी सम्भावनाओं में तीर्थंकरत्व को आत्मसात कर सकता है। जब तक इस मनुष्य की देह में छिपे हुए शूद्रत्व के भीतर, ब्राह्मणत्व के भीतर, मनुष्यत्व नहीं जगेगा, तब तक सिर्फ एक व्यवसाय कर सकते हो। धर्म का भी एक व्यवसाय कर सकते हो, लेकिन धर्म को आत्मसात नहीं कर सकते। उस परमधर्म का साक्षात्कार करने के लिए तो अपने क्षत्रियत्व को जगाना पड़ता है, भीतर के उस ओज को जागृत करना पड़ता है। क्योंकि बिना संकल्प के, बिना संघर्ष के यह यात्रा पूरी नहीं हो सकती। चलोगे, मगर कहीं नहीं पहुंचोगे। अगर यहां से सागर तक की यात्रा भी की तो भी कहीं नहीं पहुंच पाओगे। जब तक समुन्दर के भीतर अपना पांव न रखा, तब तक सागर में रहने वाले मोती नहीं मिल पाएंगे। __ जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ । मैं बौरी ढूंढन गई, रही किनारे बैठ ।। मैं गई तो ढूंढने थी, खोजने को गई, कुछ पाने को गई। पर डर गई, डूबने के खतरे से घबरा गई, सो किनारे पर ही बैठ गई। कबीर कहते हैं-- जिन खोजा तिन पाइयां, गहरे पानी पैठ। मैं बोरी डूबन डरी, रही किनारे बैठ। जो किनारे रह गया, वह किनारे पर ही रह गया। किनारे पर कभी सत्य नहीं मिलता। किनारे पर सीप के टुकड़े मिल सकते हैं। सीप में रहने वाले मोती नहीं मिल सकते। इसके लिए तो गहरे पानी में उतरना होगा। गहरे में उथल-पुथल करनी होगी। गहरा कोहराम मचाना होगा। जीवन में गहरापन लाना होगा। जिन लोगों ने जुआ खेला है, वे जानते हैं कि या तो बाजी इस पार बजी घंटियां मन-मन्दिर की / ३ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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