Book Title: Bina Nayan ki Bat
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 56
________________ कितना हानिकर है। किसी फिल्म थियेटर में कितनी भी अच्छी फिल्म चल रही हो और अचानक कोई व्यक्ति आग-आग का शोर मचा दे, तो आग कहाँ लगी है, यह देखने के लिए कोई हॉल में रुकेगा नहीं, बल्कि जान बचाकर भागने का ही प्रयास करेगा। वहां सब आग के अनुभवों से गुजरे हुए लोग होते हैं। वे आग की तपिश को जानते हैं। अनुभवी हैं, इसलिए भाग जाते हैं। एक व्यक्ति हवाई जहाज में बैठा। टिकट ले लिया। हवाई जहाज जैसे ही उड़ने लगा, वह व्यक्ति कैप्टन के पास पहुंचा और उससे पूछा कि कैप्टन! हवाई जहाज में पेट्रोल तो भरवा लिया है ना। कैप्टन थोड़ा हैरान हुआ कि ऐसा यात्री तो आज तक नहीं चढ़ा, जिसने पेट्रोल की चिन्ता की हो। पर हवाई जहाज में यात्रियों से सद्व्यवहार की परम्परा है, अतः उसने जवाब दिया - हाँ जी, पेट्रोल वगैरह सब भरवा लिया है। आप आराम से यात्रा कीजिए। वह व्यक्ति अपनी जगह पर जाकर बैठ गया। लेकिन एक मिनट बाद पुनः कैप्टन के पास पहुँचा और पूछा - कैप्टन, इंजन वगैरह तो चेक किया है ना? कहीं प्लेन बीच में खराब तो नहीं होगा? कैप्टन ने उस यात्री को घूरकर देखा और कहा भाई, कैप्टन आप हैं या मैं हूँ। यह तो मुझे सोचना है कि पेट्रोल भरवा लिया है या नहीं, इंजन ठीक है या नहीं। आप जाकर शान्ति से अपनी जगह बैठिए। उस यात्री ने कहा, आप अभी तो इस तरह बोलते हैं जब बीच रास्ते में हवाई जहाज का पेट्रोल खत्म हो जाए, या इंजन खराब हो जाए तो यह मत कहना कि नीचे उतरो और धक्का लगाओ। वह आदमी रोडवेज की बस में बैठने का आदी रहा है। इसे ही कहते हैं दूध का जला छाछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। ____जिसे एक बार सम्यक् दर्शन उपलब्ध हो जाए, उसका हर अगला कदम सावचेत होता है, सतर्क होता है और गुरु का काम बस इतना होता है कि मनुष्य की दृष्टि की जो क्षमता है, उसे जाग्रत कर दे, सही रास्ते पर लगा दे ताकि सत्य को आप खुद देख सकें, पहचान सकें। सद्गुरु हाथ पकड़ कर अभ्यन्तर के राजमार्ग पर ले जाना चाहते हैं, जिससे कि प्रवेश और यात्रा सुगम हो सके । यहाँ पर शास्त्रों के जानकार तो बहुत हैं, किताबों को कंठस्थ करने वाले बहुत है लेकिन दृष्टि सम्पन्न लोग विरले ही हैं। उन्हें मेरे प्रणाम हैं, जिन्हें अन्तर्दृष्टि प्राप्त है। खुली हो जिनकी अभ्यन्तर की आंख, आंख के भीतर की आंख । नयन बिना पावें नहीं / ५१ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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