Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
View full book text
________________
भवभावना
अगणी खोट्टणचूरणजलाइसत्थेहिं दुत्थियसरीरो। वाऊ वीयणपिट्टणऊसिणाणिलसत्थकयदुत्थो॥१८१॥ छेअणसोसणभंजणकंडणदढदलणचलणमलणेहि। उल्लूरणउम्मूलणदहणेहि य दुक्खिया तरुणो॥१८२॥ गोला होंति असंखा, होति निगोया असंखया गोले। एक्केक्को य निगोदो, अणंतजीवो मुणेयव्वो॥१८३॥ एगोसासम्मि मओ, सतरस वाराउऽणंतखुत्तो वि। खोल्लगभवगहणाऊ, एएसु निगोयजीवेसु॥१८४॥ पुत्ताइसु पडिबद्धा, अन्नाणपमायसंगया जीवा। उप्पज्जंति धणप्पियवणिउव्वेगिदिएसु बहु॥१८५॥ विगलिंदिया अवत्तं, रसंति सुन्नं भमंति चिट्ठति। लोलंति घलंति लुढंति जंति निहणं पि छुहवसगा॥१८६॥ जिणधम्मुवहासेणं, कामासत्तीइ हिययसढयाए। उम्मग्गदेसणाए, सया वि केलीकिलत्तेण॥१८७॥ कूडक्कय अलिएणं, परपरिवाएण पिसुणयाए य। विगलिंदिएसु जीवा, वच्चंति पियंगुवणिओ व्व॥१८८॥ पंचिंदियतिरिया वि हु, सीयायवतिव्वछुहपिवासाहिं। अन्नोऽन्नगसणताडणभारुव्वहणाइसंतविया॥१८९॥ पिढें घट्ट किमिजालसंगयं परिगयं च मच्छीहिं। वाहिज्जंति तहा वि हु, रासहवसहाइणो अवसा॥१९०॥ वाहेऊण सुबहुयं, बद्धा कीलेसु छुहपिवासाहिं। वसहतुरगाइणो खिज्जिऊण सुइरं विवज्जंति॥१९१॥ आराकसाइघाएहिं ताडिया तडतड त्ति फुटृति। अणवेक्खियसामत्था, भरम्मि वसहाइणो जुत्ता॥१९२॥ धणदेवसेट्ठिवसहो, कंबलसबला य एत्थुदाहरणं। भरवहणखुहपिवासाहि दुक्खिया मुक्कनियजीवा॥१९३॥ निद्दयकसपहरफुडंतजंघवसणाहि गलियरुहिरोहा। जलभरसंपूरियगुरुतडंगभज्जंतपिटुंता॥१९४॥

Page Navigation
1 ... 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248