Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 193
________________ १८० मणिवलयकणयकंकणविचित्तआहरणभूसियकरग्गा । मुद्दारयणंकियसयलअंगुली रयणकडिसुत्ता॥३७७॥ आसत्तमल्लदामा, कणयच्छविदेवदूसनेवत्था। वरसुरहिगंधकयतणुविलेवणा सुरहिनिम्माया॥३७८॥ आजम्मवाहिजरदुत्थवज्जिया निरुवमाई सोक्खाई। भुंजंति समं सुरसुंदरीहिं अविचलियतारुन्ना॥३७९॥ नाणासत्तीइ तुलंति मंदरं कंपयति महिवीढं। उच्छल्लंति समुद्दा, ,वि कामरूवाइं कुव्वंति॥३८०॥ सच्छंदयारिणो काणणेसु कीलंति सह कलत्तेहिं। अणुणो गुरुणो लहुणो, दिस्समदिस्सा य जायंति ॥ ३८१॥ बत्तीसपत्तबद्धाउ विविहनाडयविहीउ पेच्छंता । कालमसंखं पि गमंति पमुइया रयणभवणेसु॥३८२॥ इअ रिद्धिसंजुयाण वि, अमराणं नियसमिद्धिमासज्ज । पररिद्धिं अहियं पेच्छिऊण झिज्जंति अंगाई ॥ ३८३ ॥ उन्नयपीणपयोहरनीलुप्पलनयणचंदवयणाई। अन्नस्स कलत्ताणि य, दट्ठूण वियंभइ विसाओ ॥ ३८४॥ गगुरुणो सगासे, तवमणुचिन्नं मए इमेणावि । हद्धी मज्झ पमाओ, फलिओ एयस्स अपमाओ॥३८५॥ इय झूरिऊण बहुयं, कोइ सुरो अह महिड्ढियसुरस्स। भज्जं रयणाणि व अवहिऊण मूढो पलाएइ॥३८६॥ ततो वज्जेण सिरम्मि ताडिओ विलवमाणओ दीणो । उक्कोसेणं वियणं, अणुभुंजइ जाव छम्मासं॥३८७॥ ईसाइ दुही अन्नो, अन्नो वेरियणकोवसंतत्तो। अन्नो मच्छरदुहिओ, नियडीए विडंबिओ अन्नो॥३८८॥ अन्नो लुद्धो गिद्धो, य मुच्छिओ रयणदारभवणेसु। अभिओगजणियपेसत्तणेण अइदुक्खिओ अन्नो॥३८९॥ पज्जते उण झीणम्मि आउए निव्वडंततणुकंपे। तेयम्म हीयमाणे, जायंते तह विवज्जासे ॥ ३९०॥ भवभावना

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