Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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२२४
भवभावना
४०९ उ. ३१९ पू. १७४ पू. २५५ पू. २९० उ.
१०६ पू.
४६७ उ. ३६२ उ.
३९७ पू.
३९ पू
६
५६ उ.
सट्ठसयं संधीणं, मम्माण सयं तु सत्तहियं। सत्तमियाइ दसाए, कासइ निट्ठहइ चिक्कणं खेल। सत्तमियाओ अन्ना, अट्ठमिया नत्थि निरयपुढवि त्ति। सत्ताहं कललं होइ, सत्ताहं होइ अब्बुयं। सद्दलहणू बिंबीफलाहरा ससिसमकवोला। सबला नेरइयाणं, उयराओ तह य हिययमज्झाओ। समए य अइदुलंभं, भणियं मणुयत्तणाईयं। समयक्खेत्ते भरहाइगंगसिंधूण सरियाणं।। समुवट्ठियम्मि मरणे, ससंभमे परियणम्मि धावंते। सम्मद्दिट्ठीण वि गब्भवासपमुहं दुहं धुवं चेव। सयणपराभवसुन्नत्तवाउसिंभाइयं जरासेन्न। सयणाइवित्थरो मह, एत्तियमेत्तो त्ति हरिसियमणेण। सयणाणं मज्झगओ, रोगाभिहओ किलिस्सइ इहेगो। सयणोऽवि य से रोगं, न विरिंचइ नेय अवणे।। सयमवि य पहरविहुरेण सरसु जह जूरियं हियए। सयमेव किणियदक्खो, रूससि रे जीव ! कस्सिण्हिं ?।। सयलतिलोयपहूणो, उवायविहीजाणगा अणंतबला। सरपहरवियारियउयरगलियगब्भं पलोइउं हरिणिं। सरिऊण पंजरगओ, बहुं विसन्नो विवन्नो य। सवणावहिओ अन्नाणमोहिओ पाविओ निहणं। सवणोवग्गह सद्धा, संजमो य लोयम्मि दलहाइं। सविलासजोव्वणभरे, वÉतो मुणइ तणसमं भुवणं। सव्वत्थ विइन्नदसद्धवन्नकुसुमोवयाराइं। सव्वप्पणा अणिच्चो, नरलोओ ताव चिट्ठउ असारो। सव्वरयणामयाई, अट्टालयभूसिएहिं तुंगेहिं। सव्वस्स वि परकीयं, सहोयरं कस्सइ न दव्वं। सव्वाइं तुवरओसहिसिद्धत्थयगंधमल्लाइं। सव्वाओ समंतेण, अहो अहो वित्थरंतीओ। सव्वाणि सव्वलोए, अणंतखुत्तो वि रूविदव्वाइं।
२११ उ.
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१७३ उ.
२११ पू. २४० उ. २१२ उ. ४६८ उ.
३२ पू. ३३२ उ.
११ पू. ३२९ पू १३४ उ. ३६४ उ.
४०१ पू.

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