Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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परिशिष्ट २
२२३
३० पू. १९६ पू.
२४५ उ.
४ m
३१३ पू. ३४२ उ. ११६ उ. ११७ पू. १२९ पू. ३१० उ.
३१९ उ.
३४३
१५९ उ.
विहवीण दरिदाण य, सकम्मसंजणियरोयतवियाणं। विहियपमाया केवलसहेसिणो चिन्नपरधणा विगुणा। वुझंति असंखा तह, मरंति सीएण विज्झडिया। वुड्ढत्तम्मि य भज्जा, पुत्ता धूया वधूयणो वा वि। वेमाणियदेवाणं, होति विमाणाई सयलाइं। वेयरणिं नाम नइं, अइखारुसिणं विउव्वेउं। वेयरणिनरयपाला, तत्थ पवाहंति नारए दुहिए। वेयविहिया न दोसं, जणेइ हिंस त्ति अहव जंपेसि। वोच्छामि पुणो किंचि वि, ठाणस्स असुन्नयाहेडं। संकडमुहाइं घडियालयाई किर तेसु भणियाई। संकुइयवली पुण अट्ठमीए जुवईण य अणिट्ठो। संखेज्जवित्थराइं, होति असंखेज्जवित्थराइं च। संझब्भरायसरचावविब्भमे घडणविहडणसरूवे। संतावुव्वेयविघायहेउरूवाणि दंसंति। संपज्जति सुहाई, जइ धम्मविवज्जियाण वि नराणं। संपुन्नससहरमुहा, पाउसगज्जंतमेहसमघोसा। संवरियासवदारत्तणम्मि जाणेज्ज दिटुंता।। संवेअमुवगयाणं, भावंताणं भवण्णवसरूवं। संसारभावणाचालणीइ सोहिज्जमाणभवमग्गे। संसारमसुहयं चिय, विविहं लोगस्सहावं च। संसारसरूवं चिय, परिभावन्तेहिं मुक्कसंगेहि। संसारो दुहहेऊ, दुक्खफलो दुसहदुक्खरूवो य। सकयमणु/जमाणे, कीस जणो दुम्मणो होइ ?। सकयाइं च दुहाई, सहसु उइन्नाइं निययसमयम्मि। सकलत्तामरनिव्विवरविहियकीलाससहस्साइं। सक्कारवसेण सुहाइ होंति कत्थइ खणद्धेणं। सच्छंदयारिणो काणणेसु कीलंति सह कलत्तेहिं। सट्ठसयं अन्नाण वि, सिराणऽहोगामिणीण तहा। सट्ठसयं तु सिराणं, नाभिप्पभवाण सिरमुवगयाणं।
२९३ पू.
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४५० उ
५११ पू. १७१ उ. ५१८ पू. ३३५ उ. ४२३ उ ३८१ पू ४११ उ. ४१० पू.

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