Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 210
________________ परिशिष्ट २ १९७ ४७७ पू. ३५० पू. ४३५ उ. २०६ पू ९९ पू ४७४ ६३ पू. ५५ उ. ४२० पू १८३ उ ५५ पू. ६८ पू. उवलद्धो जिणधम्मो, न य अणुचिन्नो पमायदोसेणं। उववायसभा वररयणानिम्मिया जम्मठाणममराण। उवहसणिज्जा य जणे, होति अहंकारिणो जीवा। ऊरणयछगलगाई, निराउहा नाहवज्जिया दीणा। एए य निरयपाला, धावंति समंतओ य कलयलंता। एएहि कारणेहिं, लभ्रूण सुदुल्लहं पि मणुयत्तं। एको च्चिय पुण भारं, वहेइ ताडिज्जए कसाईहिं। एक्कस्स जम्ममरणे, परभवगमणं च एक्कस्स। एक्कारस इत्थीए, नव सोयाइं तु होंति पुरिसस्स। एक्केक्को य निगोदो, अणंतजीवो मुणेयव्वो। एक्को कम्माइं समज्जिणेइ भुंजइ फलं पि तस्सेक्को। एक्को पावइ जम्मं, वाहिं वुड्ढत्तणं च मरणं च। एक्को भवंतरेसं, वच्चइ को कस्स किर बीओ ?। एक्को वच्चइ जीवो, मोत्तुं विहवं च देहं च। एगगुरुणो सगासे, तवमणुचिन्नं मए इमेणावि। एगयओ सहवासो, पीई पणओ वि य अणिच्चो। एगिंदियविगलिंदियपंचिं(चें)दियभेयओ तहिं जीवा। एगोसासम्मि मओ, सतरस वाराउऽणंतखुत्तो वि। एत्थ य चउगइजलहिम्मि परिब्भमंतेहिं सयलजीवहिं। एत्थ य विजयनरिंदो, चिलायपुत्तो य तक्खणं चेव। एत्थ य हरिणत्ते पुप्फचूलकुमरेण जह सभज्जेण। एमाइ कुणसि कूडुत्तराई इण्हिं किमुव्वयसि ?। एयस्स पुण सरूवं, पुव्विं पि हु वन्नियं समासेणं। एवं कए य पुव्वुत्तझाणजलणेण कम्मवणगहणं। एवं च दुव्वियड्ढत्तगव्विओ वयसि सिक्खविओ। एवं परमाहम्मियपाएसु पुणो पुणो वि लग्गंति। एवं संखेवेणं, निरयगई वन्निया तओ जीवा। एसो मह पुव्ववेरि, त्ति नियमणे अलियमवि विगप्पेउं। ओयं तु उवटुंभस्स कारणं तस्सरूवं तु। ६७ उ. ३८५ प. کو مو به مو مو مو مو به مو به مو و له هه مو به مو مو مو مو مو به مو مو به مو مو و له १८४ पू ३९९ पू ४५० पू. २१९ पू १७४ उ. ३१० पू. ५२४ पू. १३७उ. १२४ पू १७८ पू १६३ ४०५ उ.

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