Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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१९६
भवभावना
३८८ पू.
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२६२ पू.
२६२ उ. २७० उ. ३८७ उ. ३८० उ. ५०६ उ. १९८ उ
३७१ पू.
३८४ पू १८५ उ
३४९ पू.
ईसाइ दुही अन्नो, अन्नो वेरियणकोवसंतत्तो। उक्कत्तिऊण देहाउ ताण मंसाइं चडफडंताण। उक्कोया मह घरिणी, समागया पाहुणा बहू अज्ज। उक्कोसं नवलक्खा, जीवा जायंति एगगब्भम्मि। उक्कोसेण नवण्हं, सयाण जायइ सुओ एक्को। उक्कोसेणं चिट्ठइ, असुइप्पभवे असुइयम्मि। उक्कोसेणं वियणं, अणुभुंजइ जाव छम्मासं। उच्छल्लंति समुद्दा, वि कामरूवाइं कुव्वंति। उज्जोइयभुवणाणं, झीणम्मि वि केवलमयंके। उज्झं मुंचइ पोक्करइ, तहा वि वाहिज्जए करहो। उद्धयमुयंगदुंदुहिरवेण सुरयणसहस्सपरिवारो। उन्नयपीणपयोहरनीलुप्पलनयणचंदवयणाई। उप्पज्जति धणप्पियवणिउव्वेगिदिएस बह। उप्पण्णाण य देवेसु ताण आरब्भ जम्मकालाओ। उप्पण्णो तिरिएसुं. महिसतुरंगाइजाईसु। उप्पत्तिकमो भन्नइ, जह भणिओ जिणवरिंदेहि। उप्पन्नस्स पिउस्स वि, भवपरियत्तीइ सयरत्तेण। उप्पाडिऊण संदसएण दसणे य जीहं च। उभयंतरम्मि वसिओ, नपुंसओ जायए जीवो। उभयतडमट्टियं तह, जलाइं गिण्हंति सयलाणं। उम्मग्गदेसणाए, सया वि केलीकिलत्तेण।। उयरे उंटकरकं, पट्ठीए भरो गलम्मि कूवो य। उरगा इव उग्गविसा, गहिया मंतोसहीहिं विणा। उल्लंबिऊण उप्पिं, अहोमुहे हेढ़ जलियजलणम्मि। उल्लसइ भमइ कुक्कुयइ कीलइ जंपइ बहु असंबद्धं। उल्लूरणउम्मूलणदहणेहि य दक्खिया तरुणो। उवघाए सिरि वियणं, कुणंति अंधत्तणं च तहा। उवयारो य इमीए, संसारासुइकिमीण जंतूणं। उवरिट्ठियं कुटुंबं, तं पि सकज्जेक्कतल्लिच्छं।
६३ उ.
३४९ उ.
२२२ पू.
१६० उ. २७५ उ. ३६३ उ. १८७ उ. १९८ पू
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४३९ उ.
१५२ पू.
२७९ पू.
१८२ उ ४१२ उ.
५२८ पू.
५१ उ.

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