Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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२०८
भवभावना
६५ उ. २५१ उ. ४६२ उ. १४७ उ. ४७२ उ. ४६१ उ.
४४ उ. २७१ उ. ४१४ उ. ३४१ उ. १५७ पू. ५१९ पू.
४१७ पू.
ताण निमित्तं पावाइ जेण विहियाइ विविहाइं। ताण विचिंतस जइ अत्थि किं पि परमत्थओ सोक्खं। ताण सिवरयणदीवंगमाण भदं मुणिंदाणं। ताणं चिय वयणे पक्खिवंति जलणम्मि भुजेउं। तायारमपेच्छंतो, नियकम्मविडंबिओ जीवो। तारुण्णभरे मयणो, जाण सरीरम्मि वि विलीणो। तित्थयरा वि हु कीरति कित्तिसेसा कयंतेण। तिरियं णिग्गच्छंतो, विणिवायं पावए जीवो। तिरियगमाण सिराणं, सट्ठसयं होइ अवराणं। तिरियमसंखेज्जाइं, जोइसियाणं विमाणाइं॥३४॥ तिरियाणऽइभारारोवणाइं सुमराविऊण खंधेसुं। तिव्वा रोगायंका, सहिया जह चक्किणा चउत्थेणं। तीसपणवीसपनरसदसलक्खा तिन्नि एग पंचूणं। तीसूणाई इत्थीण वीसहीणाइं होंति संढस्स। तीसे मज्झे मणिपेढियाए रयणमयसयणिज्ज। तुच्छजले बुड्डमुहाई दो वि समयं विवन्नाई। ते अइमुत्तयकुरुदत्तपमुहमुणिणो नमसामि।। ते णं नरयावासा, अंतो वट्टा बहिं तु चउरंसा। ते पुज्जा तियलोए, सव्वत्थ वि जाण निम्मलं नाणं। ते सयमवि वज्जंता, सुहिणो धीरा चरंति महिं। तेण दक्खेण संतत्तो न सरइ जाइमप्पणो। तेणावि पुरिसयारेण विणडिओ मुणसि तणसमं भुवणं। तेणेव पगइभद्दो, विणयपरो विगयमच्छरो सदओ। तेयम्मि हीयमाणे, जायंते तह विवज्जासे। तेवीसाहिय सगनउइसहस्स चुलसीइसयसहस्साइं। तो अणभिनिविट्ठाणं, अत्थीणं किं पि भावियमईणं। तो गंतुं सट्ठाणं, ठविउं सीहासणम्मि ते देवं। तो जइ अत्थि भयं ते, इमाइ घोराइ जरपिसाईए। तो जम्ममरणजरमूलकारणं छिंदसु ममत्तं।
३५० उ. २१८ उ. ४५६ उ.
८५ पू.
५०५ पू ५२० उ. २७४ उ.
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१३३ पू. ३२५ पू.
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३९० उ
३४२ पू. ५२९ पू.
३६८ पू
५०८ उ.

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