Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 207
________________ १९४ भवभावना ५०४ उ. o आणा वि जिणाणेसा, पढमं नाणं तओ चरणं। आयरइ ताइं जेहि, य दहिओ इह परभवे होइ। आरंभपरिग्गहवज्जियाण निव्वहइ अम्ह न कुडुंब। आरंभेहि य अघलो, नरयगईए उदाहरणा। आरंभेहि य तूससि, रूससि किं एत्थ दुक्खेहिं ?। आराइएहि विंधंति मोग्गराईहिं तह निसुंभंति। आराकसाइघाएहिं ताडिया तडतड त्ति फुटृति। आरोवंति तहिं पिहु, तत्ताए लोहनावाए। आलस्समोहऽवन्ना, थंभा कोहा पमायकिविणत्ता। आसत्तमल्लदामा, कणयच्छविदेवदूसनेवत्था। आसन्ने परमपए, पावेयव्वम्मि सयलकल्लाणे। आसाए विनडिएहि, हा ! दुलओ हारिओ जम्मो। आसि इहं ताणं पि हु, विवागमेयं पयासंति। आहेडयचेट्ठाओ, संभारेउं बहुप्पयाराओ। इंदसमा देविड्ढी, देवाणपिएहिं पाविया एसा। इअ रिद्धिसंजुयाण वि, अमराणं नियसमिद्धिमासज्ज। इगतीसाहियपंचहि, सएहिं गाहाविचित्तरयणेहिं। इच्चाइ पुव्वभवदुक्कयाई सुमराविउं निरयपाला। इच्चाइ भणसि तइया, वायालत्तेण परितुट्ठो। इच्चाइ महाचिंताजरगहिया निच्चमेव य दरिद्दा। इच्छंता वि हु न मरंति कह वि हु ते नारयवराया। इच्छंतो रिद्धीओ, धम्मफलाओ वि कुणसि पावाई। इट्ठकुटुंबस्स कए, करइ नाणाविहाइं पावाइं। इटेहि य संजोगो, असासयं जीवियव्वं च। इण्हिं तु तत्ततंबयढिउल्लियाणं पलाएसि। इण्हिं पुण पोक्कारसि, अइदुसहं दुक्खमेयंति। इण्हिं भवदुहदलणम्मि जीव ! उज्जमसु जिणधम्मे। इय अन्नत्तं परिचिंतिऊण घरघरणिसयणपडिबंध। इय असमंजसचेट्ठियअन्नाणऽविवेयकुलहरं गमियं। ४३४ उ. १३९ पू. १७७ उ. १३८ उ. १०३ पू १९२ पू. ११७ उ ४७३ पू ३७८ पू. ४६६ पू. ४९४ उ. १५८ उ. १५० पू ३५४ पू ३८३ पू. ५३० पू. १४६ पू. १२७ उ ३०८ पू १२२ उ ४८२ पू. १३६ उ. १३० उ. ४०३ उ. २८० पू

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