Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 205
________________ १९२ भवभावना ४०६ पू. ४८४ पू. १९२ उ. ३८१ उ. ३५४ उ. แ ५३ पू 94 ४१८ उ. ४०८ पू २५९ उ ४४८ उ. ७० पू. ४९१ पू. ३८४ उ. अट्ठारस पिट्ठिकरंडयस्स संधीओ होंति देहम्मि। अणवरयभवमहापहपयट्टपहिएहिं धम्मसंबलयं। अणवेक्खियसामत्था, भरम्मि वसहाइणो जुत्ता। अणुणो गुरुणो लहुणो, दिस्समदिस्सा य जायंति। अणुभुंजंतु जहिच्छं, समुवणयं निययपुन्नेहि। अणुसोयइ अन्नजणं, अन्नभवंतरगयं च बालजणो। अत्थेण नंदराया, न रक्खिओ गोहणेण कुइअन्नो। अद्धाढयं भणंती, पत्थं मत्थुलयवत्थुस्स। अद्भुट्ठपलं हिययं, बत्तीसं दसणअट्ठिखंडाइं। अद्भुट्ठा कोडीओ, समं पुणो केसमंसूहि। अनिउत्ता उण भंजंति मत्तकरिणो व्व सीलवणं। अन्नं इमं कुटुंब, अन्ना लच्छी सरीरमवि अन्नं। अन्नन्नसुहसमागमचिंतासयदत्थिओ सयं कीस ?। अन्नस्स कलत्ताणि य, दळूण वियंभइ विसाओ। अन्नाइ वि कुंटलविंटलाइं भूओवघायजणगाइ। अन्नाणोवहयाणं, देवाण दहम्मि का संका ?। अन्ने अवरोप्परकलहभावओ तह य कोवकरणेणं। अन्ने उण संजुत्ता, रत्तुप्पलपत्तकोमलतलेहिं। अन्ने उण सव्वंगं, गसिया जररक्खसीइ जायंति। अन्ने वि हु खंतिपरा, सीलरया दाणविणयदयकलिया। अन्नो मच्छरदहिओ, नियडीए विडंबिओ अन्नो। अन्नो लुद्धो गिद्धो, य मुच्छिओ रयणदारभवणेसु। अन्नो वज्जग्गिचियास खिप्पए विरसमारसंतो वि। अन्नोऽन्नगसणताडणभारुव्वहणाइसंतविया। अन्नोऽन्नगसणवावारनिरयअइकूरजलयरारद्धो। अन्नोऽन्नदिसिं सव्वे, वयंति तह चेव संसारे। अप्फालिज्जइ अन्नो, वज्जसिलाकंटयसमूहे। अब्बुया जायए पेसी, पेसीओ य घणं भवे। अभिओगजणियपेसत्तणेण अइदुक्खिओ अन्नो। ५० पू. ३९६ उ. १७६ पू २८७ पू. २९७ पू. 9.99.9 ३४८ पू ३८८ उ ३८९ पू १०२ पू १८९ उ २३२ पू १३ उ १०१ उ. २५५ उ. ३८९ उ.

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