Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 192
________________ परिशिष्ट १ रत्तारत्तवईणं, महानईणं तओऽवराणं पि। उभयतडमट्टियं तह, जलाई गिण्हंति सयलाणं ॥ ३६३॥ गंतूण चुल्लहिमवंतसिहरिपमुहेसु कुलगिरिंदेसु । सव्वाइं तुवरओसहिसिद्धत्थयगंधमल्लाइं॥३६४॥ गिण्हंति वट्टवेयड्ढसेलसिहरेसु चउसु एमेव। विजएसु जाई मागहवरदामपभासतित्थाइं॥३६५॥ गिण्हंति सलिलमट्टियमंतरनइसलिलमेव उवणेंति । वक्खारगिरीसु वणम्मि भद्दसालम्मि तुवराइं॥३६६॥ नंदणवणम्मि गोसीसचंदणं सुमणदाम सोमणसे। पंडगवणम्मि गंधा, तुवराईणि य विमीसंति॥३६७॥ तो गंतुं सट्ठाणं, ठविउं सीहासणम्मि ते देवं। वरकुसुमदामचंदणचच्चियपउमप्पिहाणेहिं॥३६८॥ कलसेहि ण्हवंति सुरा, केई गायंति तत्थ परितुट्ठा। वायंति दुंदुहीओ, पढंति बंदि व्व पुण अन्ने॥३६९॥ रयणकणयाइवरिसं, अन्ने कुव्वंति सीहनाया । इय महया हरिसेणं, अहिसित्तो तो समुट्ठेउं ॥ ३७०॥ उद्धयमुयंगदुहिरवेण सुरयणसहस्सपरिवारो। सोऽलंकारसभाए, गंतुं गिण्हइ अलंकारे॥३७१॥ गंतुं ववसायसभाए वायए रयणपोत्थयं तत्तो। तवणिज्जमयक्खरऽमरकिच्चनयमग्गपायडणं॥३७२॥ पूओवगरणहत्थो, नंदापोक्खरिणिविहियजलसोओ। सिद्धायय पूयइ, वंदइ भत्तीए जिणबिंबे ॥ ३७३ ॥ गंतूण सुहम्मसभं तत्तो अच्चइ जिणिंदसगहाओ। सीहासणे तहिं चिय, अत्थाणे विसर इंदो व्व॥३७४॥ इय सुहिणो सुरलोए, कयसुकया सुरवरा समुप्पन्ना। रयणुक्कडमउडसिरा, चूडामणिमंडियसिरग्गा ॥ ३७५ ॥ गंडयललिहंतमहंतकुंडला कंठनिहियवणमाला | हारविराइयवच्छा, अंगयकेऊरकयसोहा॥३७६॥ १७९

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