Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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परिशिष्ट १
१७७
पुक्खरिणीसयसोहिय, उववणउज्जाणरम्मदेसेसु। सकलत्तामरनिव्विवरविहियकीलाससहस्साइं॥३३५॥ ठाणट्ठाणारंभियगेयज्झुणिदिन्नसवणसोक्खाई। वज्जंतवेणुवीणामुइंगरवजणियहरिसाइं॥३३६॥ हरिसुत्तालपणच्चिरमणिवलयविहूसियऽच्छरसयाई। निच्चं पमुइयसुरगणसंताडियदंदहिरवाइं॥३३७॥ दसदिसिविणिग्गयामलरविसमहियतेयदुरवलोयाइं। बहुपुन्नपावणिज्जाइं पुन्नजणसेवियाई च॥३३८॥ पत्तेयं चिय मणिरयणघडियअट्ठसयपडिमकलिएणं। जिणभवणेण पवित्तीकयाइं मणनयणसुहयाइं॥३३९॥ तह चेव संठियाइं, संखाईयाइं रयणमइयाइं। नयराइ वंतराणं, हवंति पुव्वुत्तरूवाइं॥३४०॥ फलिहरयणामयाई, होति कविठ्ठद्धसंठियाइं च। तिरियमसंखेज्जाइं, जोइसियाणं विमाणाइं॥३४१॥ तेवीसाहिय सगनउइसहस्स चुलसीइसयसहस्साइं। वेमाणियदेवाणं, होति विमाणाई सयलाइं।।३४२॥ संखेज्जवित्थराइं, होति असंखेज्जवित्थराइं च। कलियाइं रयणनिम्मियमहंतपासायपंतीहिं॥३४३॥ धयचिंधवेजयंतीपडायमालाउलाइं रम्माइं। पउमवरवेइयाइं, नाणासंठाणकलियाइं॥३४४॥ वन्नियभवणसमिद्धीओऽणंतगुणरिद्धिसमुदयजुयाई। सणमाणाण वि सहयाइं सेवमाणाण किं भणिमो ?॥३४५॥ छउमत्थसंजमेणं, देसचरित्तेणऽकामनिज्जरया। बालतवोकम्मेण य, जीवा वच्चंति दियलोयं॥३४६॥ सेयवियानरनाहो, सेट्ठी य धणंजओ विसालाए। जंबूतामलिपमुहा, कमेण एत्थं उदाहरणा॥३४७॥ अन्ने वि हु खंतिपरा, सीलरया दाणविणयदयकलिया। पयणुकसाया भुवणो, व्व भद्दया जंति सुरलोय॥३४८॥

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