Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

View full book text
Previous | Next

Page 188
________________ परिशिष्ट १ १७५ जीवइ अज्ज वि सत्तू, मओ य इट्ठो पहू य मह रुट्ठो। दाणिग्गहणं मग्गंति विहविणो कत्थ वच्चामि ?॥३०७॥ इच्चाइ महाचिंताजरगहिया निच्चमेव य दरिद्दा। किं अणुहवंति सोक्खं ?, कोसंबीनयरिविप्पो व्व॥३०८॥ इय विहवीण दरिदाण वा वि तरुणत्तणे वि किं सोखं ?। दुहकोडिकुहरं चिय, वुड्ढत्तं नूण सव्वेसिं।।३०९॥ एयस्स पुण सरूवं, पुव्विं पि हु वन्नियं समासेणं। वोच्छामि पुणो किंचि वि, ठाणस्स असुन्नयाहेउं॥३१०॥ थरहरइ जंघजुयलं, झिज्झइ दिट्ठी पणस्सइ सुइ वि। भज्जइ अंगं वाएण होइ सिंभो वि अइपउरो॥३११॥ लोयम्मि अणाएज्जो, हसणिज्जो होइ सोयणिज्जो य। चिट्ठइ घरम्मि कोणे, पडिउं मंचम्मि कासंतो॥३१२॥ वुड्ढत्तम्मि य भज्जा, पुत्ता धूया वधूयणो वा वि। जिणदत्तसावगस्स व, पराभवं कुणइ अइदुसह।।३१३॥ चउसुं पि अवत्थासुं, इय मणुएसुं विचिंतयंताणं। नत्थि सुहं मोत्तूणं, केवलमभिमाणसंजणियं॥३१४॥ मणुयाण दस दसाओ, जाओ समयम्मि पुण पसिद्धाओ। अंतब्भवंति ताओ, एयासु वि ताओ पुण एवं॥३१५॥ बाला किड्डा मंदा, बला य पन्ना य हाइणि पवंचा। पब्भारमुम्मुही सायणी य दसमी य कालदसा॥३१६॥ दसवरिसपमाणाओ, पत्तेयमिमाओ तत्थ बालस्स। पढमदसा बीया उ, जाणेज्जसु कीलमाणस्स॥३१७॥ तइया भोगसमत्था, होइ चउत्थीए पुण बलं विउलं। पंचमियाए पन्ना, इंदियहाणी उ छट्ठीए॥३१८॥ सत्तमियाइ दसाए, कासइ निट्ठहइ चिक्कणं खेल। संकुइयवली पुण अट्ठमीए जुवईण य अणिट्ठो॥३१९॥ नवमी नमइ सरीरं, वसइ य देहे अकामओ जीवो। दसमीऍ सुयइ वियलो, दीणो भिन्नस्सरो खीणो॥३२०॥

Loading...

Page Navigation
1 ... 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248