Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra

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Page 182
________________ परिशिष्ट १ लुद्धो फासम्मि करेणुयाए वारीए निवडिओ दीणो। झिज्जइ दंती नाडयनियंतिओ सुक्खरुक्खम्मि॥२२३॥ विंझरमियाइ सरिउं, झिज्जंतो निबिडसंकलाबद्धो। विद्धो सिरम्मि सियअंकुसेण वसिओ सि गयजम्मे॥२२४॥ सोऊण सीहनायं, पुव्विं पि विमुक्कजीवियासस्स। निवडंतसीहनहरस्स तत्थ किं तुह दुहं कहिमो ?॥२२५॥ भिसिणीबिसाई सल्लइदलाई सरिऊण जुन्नघासस्स। कवलमगिण्हतो आरियाहिं कह कह न विद्धो सि ?॥२२६॥ पडिकुंजरकढिणचिहुट्टदसणक्खयगलियपूयरुहिरोहो। परिसक्किरकिमिजालो, गओ सि तत्थेव पंचत्तं॥२२७॥ जूहवइत्ते पज्जलियवणदावे निरवलंबचरणस्स। मेहकुमारस्स व दुहमणंतसो तुह समुप्पन्न॥२२८॥ जाले बद्धो सत्थेण छिंदिउं हुयवहम्मि परिमुक्को। भत्तो य अणज्जेहिं, जं मच्छभवे तयं सरस॥२२९॥ छेत्तूण निसियसत्थेण खंडसो उक्कलंततेल्लम्मि। तलिऊण तुट्टहियएहि हंत भुत्तो तहिं चेव॥२३०॥ जीवंतो वि हु उवरिं, दाउं दहणस्स दीणहियओ य। काऊण भडित्तं भुंजिओऽसि तेहिं चिय तहिं पि॥२३१॥ अन्नोऽन्नगसणवावारनिरयअइकूरजलयरारद्धो। तसिओ गसिओ मक्को, लक्को ढक्को य गिलिओ य॥२३२॥ बडिसग्गनिसियआमिसलवलुद्धो रसणपरवसो मच्छो। गलए विद्धो सत्थेण छिंदिउं भुंजिउं भुत्तो॥२३३॥ पियपत्तो वि ह मच्छत्तणं पि जाओ सुमित्तगहवइणा। बिडिसेण गले गहिओ, मुणिणा मोयाविओ कह वि॥२३४॥ पक्खिभवेसु गसंतो, गसिज्जमाणो य सेसपक्खीहिं। दुक्खं उप्पायंतो, उप्पन्नदुहो य भमिओ सि॥२३५॥ खरचरणचवेडाहि य, चंचुपहारेहिं निहणमुवणेतो। निहणिज्जंतो य चिरं, ठिओ सि ओलावयाईसु॥२३६॥

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