Book Title: Bhavbhavna Prakaranam
Author(s): Hemchandracharya, Vairagyarativijay
Publisher: Shrutbhuvan Sansodhan Kendra
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१७०
पासेसु जलियजलणेसु कूडजंतेसु आमिसलवेसु। पडिओ अन्नाणंधो, बद्धो खद्धो निरुद्धो य ॥ २३७॥ पडिकुक्कुडनहरपहारफुट्टनयणो विभिन्नसव्वंगो। निहणं गओ सि बहुसो, वि जीव ! परकोउयकएण ॥ २३८॥ झीणो सरिउं सहपिययमाए रमियाइं सालिछेत्तेसु । खित्तो गोत्तीइ व पंजरट्ठिओ हंत कीरत्ते ॥ २३९॥ भमिओ सहयारवणेसु पिययमापरिगएण सच्छंदं। सरिऊण पंजरगओ, बहुं विसन्नो विवन्नो य॥ २४०॥ गहिओ खरनहरबिडालियाए आयड्ढिऊण कंठम्मि । चिल्लंतो विलवंतो, खद्धो सि तहिं तयं सरसु ॥ २४१॥ तत्थेव य सच्छंदं, मुद्दियलयमंडवेसु हिंडतो। जणएण पासएहिं, बद्धो खद्धो य जणणीए ॥ २४२॥ इय तिरियमसंखेसुं, दीवसमुद्देसु उड्ढमहलोए । विविहा तिरिया दुक्खं, च बहुविहं केत्तियं भणिमो ?॥२४३॥ हिमपरिणएसु सरिसरवरेसु सीयलसमीरसुढियंगा। हिययं फुडिऊण मया, बहवे दीसंति जं तिरिया॥२४४॥ वासारत्ते तरुभूमिनिस्सिया रण्णजलपवाहेहिं । वुज्झंति असंखा तह, मरंति सीएण विज्झडिया॥२४५॥ को ताण अणाहाणं, रन्ने तिरियाण वाहिविहुराणं। भुयगाइडंकियाण य, कुणइ तिगिच्छं व मंतं वा ?॥२४६॥ वसणच्छेयं नासाइविंधणं पुच्छकन्नकप्परणं। बंधणताडणडंभणदुहाइं तिरिएसुऽणंताई॥२४७॥ मुद्धजणवंचणेणं, कूडतुलाकूडमाणकरणेण। अट्टवसट्टोवगमेण देहघरसयणचिंताहिं॥२४८॥ कूडक्कयकरणेणं, अणंतसो नियडिनडियचित्तेहिं। सावत्थीवणिएहिं, व तिरियाउं बज्झए एवं ॥ २४९॥ कालमणंतं एगिदिएसु संखेज्जयं पुणियरेसु । काऊण केइ मणुया, होंति अतो तेण ते भणिमो॥२५०॥
भवभावना

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