Book Title: Bhav Sangrah Author(s): Vamdev Acharya, Ramechandra Bijnaur Publisher: Bharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad View full book textPage 7
________________ 卐 संकल्प ॥ "णाणं पयासं सम्यग्ज्ञान का प्रचार-प्रसार केवल ज्ञान का बीज है । आज कलयुग में ज्ञान प्राप्ति की तो होड़ लगी है, पवियाँ और उपाधियाँ जीवन का सर्वस्व बन चुकी हैं परन्तु सम्यग्ज्ञान की ओर मनुष्यों का लक्ष्य ही नहीं है। जीवन में मात्र ज्ञान नहीं सम्यग्ज्ञान अपेक्षित है। आज तथाकथित अनेक विद्वान् अपनी मनगढन्त बातों की पुष्टि पूर्वाचार्यों की मोहर लगाकर कर रहे हैं, ऊटपटांग लेखनियां सत्य की श्रेणी में स्थापित की जा रही है, कारण पूर्वाचार्य प्रणीत ग्रन्थ आज सहज सुलभ नहीं है और उनके प्रकाशन व पठन-पाठन की जैसी और जितनी रुचि अपेक्षित है, वैसी और उतनी दिखाई नहीं देती। असत्य को हटाने के लिए पर्चेबाजी करने या विशाल सभाओं में प्रस्ताव पारित करने मात्र से कार्य सिद्ध होना अशक्य है। सत्साहित्य का प्रचुर प्रकाशन व पठन-पाठन प्रारम्भ होगा, असत् का पलायन होगा। अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए प्राज सत्साहित्य के प्रचुर प्रकाशन की महती आवश्यकता है: यनेते विढलन्ति वादिगिरयस्तुष्यन्ति वागीश्वराः भव्या येन विदन्ति निवृतिपद मुञ्चति मोहं बुधाः । यद् बन्धुर्य मिना यवक्षयसुखस्याधार भूतं मतं, तल्लोकजयशुद्धिदं जिनवचः पुष्पाद विवेकश्रियम् ॥Page Navigation
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