Book Title: Bhasha Bhaskar Arthat Hindi Bhasha ka Vyakaran Author(s): Ethrington Padri Publisher: Ethrington Padri View full book textPage 7
________________ भाषाभास्कर । १२ स्वर उन्हें कहते हैं जो व्यंजनों के उच्चारण में सहायक होते हे और जिनका उच्चारण आप से हो सकता है। १३ व्यंजन उन वर्णों को कहते हैं जिनके बोलने में स्वर की सहायता पाई जाय ॥ स्वर । अ आ इ ई उ ऊ ऋ ऋ टु ल्ह* ए ऐ ओ ओ व्यंजन। क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प . फ ब भ म य र ल व . श ष स ह १४ व्यंजनों का स्पष्ट उच्चारण स्वर के योग मे होता हे जेसा क + प्र=क ख+अम्ख इत्यादि । और जब क आदि व्यंजनों में स्वर नहीं रहता तो उन्हें हल कहते हैं और उनके नीचे ऐसा चिन्ह कर देते हैं। किसी अक्षर के आगे कार शब्द जोड़ने से वही अक्षर समझा जाता है। १५ अनुस्वार और विसर्ग भी एक प्रकार के व्यंजन हैं । अनुस्वार का उच्चारण प्रायः हल नकार के समान और विसर्ग का हकार के तुल्य होता है। १६ अनुस्वार का आकार स्वर के ऊपर की एक बिन्दी और विसर्ग का स्वरूप स्वर के आगे का खड़ी दो बिन्दियां हैं। अनुस्वार जैसे हंस घंश में विसर्ग जेसे प्रायः दुःख इत्यादि में है। . स्वर के विषय में । १० मल स्वर नव हैं उनके स्वरूप ये हैं अ इ उ ऋ ए ऐ ओ श्री। इन में से पहिले पांच ह्रस्व और पिछले चार दीर्घ और संयुक्त भी कहाते हैं। संयुक्त कहने का अर्थ यह है कि अ+ इ = ए आ + ई = ये अ+ उ = ओ और आ + ऊ = ओ ॥ __१८ अकार के बोलने में जितना समय लगता है उसे ही माग कहते हैं । जिस स्वर के उच्चारण में एक मात्रा होवे उसे ह्रस्व वा एक _ * ऋतृ तृ ये वर्ण हिन्दी शब्दों में नहीं आते केवल देवनागरी . वर्णमाला की पूर्णता निमित राये गये हैं ॥ Scanned by CamScannerPage Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 ... 125