Book Title: Bharat ka Bhavishya
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 11
________________ भारत का भविष्य एक छोटी सी कहानी और अपनी बात मैं पूरी करूंगा। मैंने सुना है, जापान में एक छोटे से राज्य पर हमला हो गया। बहुत छोटा राज्य और बड़े राज्य ने हमला किया था। उसका सेनापति घबड़ा गया और उसने अपने सम्राट को जाकर कहा कि मैं लड़ने पर नहीं जा सकूँगा। सेनाएं कम हैं, साधन कम हैं, हार निश्चित है। इसलिए व्यर्थ अपने सैनिकों को कटवाने की कोई जरूरत नहीं हैं। हार स्वीकार कर लें। उस सम्राट ने कहा कि मैं तो तुम्हें समझता था कि तुम एक बहादुर आदमी हो, जवान हो, तुम इतने बूढ़े साबित हुए! लेकिन जब सेनापति ने तलवार नीचे रख दी तो सम्राट भी बहुत घबड़ाया। गांव में एक फकीर था सम्राट उसके पास गया। जब भी कभी मुसीबत पड़ी थी उस फकीर से सलाह लेने वह गया था। उस फकीर ने कहा कि इस सेनापति को फौरन कारागृह में डाल दो। क्योंकि इसकी यह बात, कि हार निश्चित है, हार को निश्चित कर देगी। आदमी जो सोच लेता है, वह हो जाता है। और जब सेनापति कहेगा हार निश्चित है तो सैनिक क्या करेंगे! उनकी हार तो बिलकुल निश्चित हो जाएगी। इसे कारागृह में डाल दो और कल सुबह मैं सेनापति बन कर आपकी सेनाओं को युद्ध के मैदान पर ले जाऊंगा। राजा बहुत घबड़ाया! क्योंकि सेनापति योग्य था, युद्धों का अनुभवी था, वह डर गया और फकीर जिसे तलवार पकड़ने का भी कोई पता नहीं था, जो कभी घोड़े पर भी नहीं बैठा था, वह युद्ध के मैदान पर क्या करेगा। लेकिन कोई उपाय न था। और राजा को राजी होना पड़ा। वह फकीर सेनाओं को लेकर युद्ध के मैदान पर चल पड़ा। राज्य की सीमा पर, नदी को पार करने के पहले, उस पार दुश्मन के पड़ाव थे, उस सेनापति ने मंदिर के निकट रुक कर अपने सिपाहियों को कहा कि मैं जरा मंदिर के देवता को पूछ लूं कि हमारी हार होगी कि जीत? उन सैनिकों ने कहा, देवता कैसे बताएगा और देवता की भाषा हम कैसे समझेंगे? उस फकीर ने कहा, भाषा समझने का उपाय मेरे पास है। उसने खीसे से एक चमकता हुआ सोने का रुपया निकाला, आकाश की तरफ फेंका और मंदिर के देवता से कहा कि अगर हमारी जीत होती हो तो सिक्का सीधा गिरे और अगर हार होती हो तो उलटा गिरे। सैनिकों की श्वासें रुक गई। जीवन-मरण का सवाल था। वह रुपया Page 11 of 197 http://www.oshoworld.com

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