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ढाल : ४००
१. जीवत्थिकायस्स भंते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता? गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा
२. जीवे इ वा, जीवत्थिकाए इवा,
३. पाणे इ वा, भूए इवा,
४. सत्ते इ वा, विष्णू इवा,
५. वेया इवा, चेया इ वा, 'चेय' त्ति चेता पुद्गलानां चयकारी चेतयिता वा
(वृ० प० ७७६)
जीवास्तिकाय के अभिवचन
दूहा १. प्रभु ! जीवास्तिकाय नां, कितरा अभिवचन नाम? जिन कहै नाम अनेक है, गुण-निप्पन ते ताम ।।
_ *जीव रा नाम तेवीस कह्या जिन ॥(ध्र पदं) २. जीवे ति वा कहितां प्राण धरै छै,
अथवा जोवास्तिकायो रे। तेहिज अस्ति प्रदेश तणों जे,
___ काय समूह कहायो रे ।। ३. अथवा प्राण कहीजै जीव नै, लेवै उस्सास-निस्सासो रे ।
अथवा भूत ते त्रिहुं काल में थयो छै हुस्यै सुरासो रे ।। ४. अथवा सत्ते ति वा नाम जीव रो,
__ शुभाशुभ पोते पिछाणो रे । अथवा विण्णू ति वा जाण विष रो,
शब्दादिक नों जाणो रे ।। ५. अथवा वेया ति वा सुख दुख वेदै,
अथवा चेया ति वा नामो रे। पुद्गल नै चयकारी चिणे ए,
विविध प्रकारे तामो रे ।। ६. अथवा जेया ति वा नाम जीव रो,
कर्मरिपु रो जीपणहारो रे । तिणरो प्राक्रम शक्ति अत्यंत घणों छ,
थोड़ा में जाय मोक्ष मझारो रे ॥ ७. अथवा आया ति वा नाम जीव रो,
ते सहु गति रै मांह्यो रे । जावणहार निरंतर छै ए,
तिणसं आत्म कहिवायो रे ।। ८. अथवा रंगणे ति वा नाम छ,
रंगण रागज न्हालो रे। तेहनां जोग सू मोह मतवालो,
__ आत्मा ने लगावै कालो रे ।। ९. अथवा हिंडुए' ति वा कह्यो छै,
_ हिंडया चिउं गति तामो रे । कर्म करीने हिलोळे छै ए,
जठे पाम्यो नहीं विश्रामो रे ।। *लय : चतुर विचार करीनै १. अंगसुत्ताणि भाग २ में हिंदुए पाठ है। वहां "हिंडुए' को पाठान्तर में रखा है।
६. जेया इ वा,
'जेय' त्ति जेता कर्मरिपूणाम्
(वृ० प० ७७६)
७. आया इवा, 'आया' त्ति आत्मा नानागतिसततगामित्वात्
(वृ० ५० ७७६)
८. रंगणे इ वा, रंगणे' त्ति रङ्गणं-रागस्तद्रयोगाद्रङ्गण:
(वृ० ५०७७६)
९. हिंदुए इ वा,
'हिंडुए' त्ति हिण्डुकत्वेन हिण्डुका, (वृ० ५० ७७६)
२५२ भगवती जोड़
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