Book Title: Bhagavati Jod 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 387
________________ ६. छक्केहिं समज्जिया? ६. *बहु षट करिके जेह, उपनो इक समयेह । आज हो, छक्केहि य समज्जिया चउथो कह्यो जी? ७. बहु षट एक समय विषे, उपनां नरक मझार । बहु षटके करि समज्जिया, चउथो विकल्प धार ।। ७. 'छक्केहि य समज्जिय' त्ति एकत्र समये येषां बहूनि षट्कान्युत्पन्नानि ते षट्कैः समजिता उक्ताः __ (वृ० प० ७९९,८००) ८. छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया? ८. *छक्क बहुवचन करेह, नोषट इक वचनेह । आज हो, तिण करि उपनां विकल्प पंचमो जी? ९. एकादिक पंच लग अधिक, उपनों बहु षटकेह । ___ बहु-षट नोषट समज्जिया, पंचम विकल्प एह ॥ १०. *गोयमा ! नेरइया य, छक्कसमज्जिया ताय । आज हो, कहियै नोछक्कसमज्जिया जी ।। ११. छक्केण नोछक्केण, छक्केहि समज्जिया जेण । आज हो, छक्केहि य नोछक्केण समज्जिया जी ।। ९. 'छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिय' त्ति एकत्र समये येषां बहूनि षट्कान्येकाद्यधिकानि ते षट्कः नोषट्केन च समजिताः, (वृ०प० ८००) १०. गोयमा ! नेरइया छक्कसमज्जिया वि, नोछक्क समज्जिया वि, ११. छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया वि, छक्के हिं समज्जिया वि, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया वि। (श० १०।१०५) १२. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइया छक्कसमज्जिया वि जाव छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया वि? १३. गोयमा ! जे ण नेरइया छक्कएण पवेमणएण पविसंति १४. ते ण नेरइया छक्कसमज्जिया। १२. किण अर्थे इम ख्यात, नारक में अवदात । आज हो, विकल्प पंच कह्या प्रभुजी ! तुम्हे जी? १५. जे णं नेरइया जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति १६. ते णं नेरइया नोछक्कसमज्जिया। १७. जे णं नेरइया एगेणं छक्कएण १३. जिन कहै सांभल वाय, जेह नारका ताय । आज हो, एक समय में जे षट ऊपजे जी।। १४. तेह नेरइया ताय, छक्कसमज्जिया कहाय । __आज हो, विकल्प पहिलो भाख्यो इह विधे जी॥ १५. जेह नेरइया चीन, जघन्य एक बे तीन । आज हो, उत्कृष्ट पंच प्रवेश करै जिहां जी।। १६. तेह नेरइया पाय, नोछक्कसमज्जियाय । आज हो, विकल्प दूजो दाख्यो इह विधे जी।। १७. जेह नेरइया जाण, नरक विषे पहिछाण ।। आज हो, एक समय में छह ऊपजै तिहां जी। १८. वलि अनेरा चीन, जघन्य एक बे तीन ।। आज हो, उत्कृष्ट पंच प्रवेश करै जिहां जी।। १९. तेह नारका जाण, तीज विकल्प माण । आज हो, छक्के करि नोछक्के करि समज्जिया जी। २०. वलि नेरइया जेह, बहु-षटके करि तेह । आज हो, करै प्रवेशन प्रवेशने करी जी॥ २१. तेह नेरइया जोय, चउथे विकल्प होय । आज हो, घणेरे छक्के करि समज्जिया कह्या जी ।। २२. जेह नेरइया जाण, नरक विषे पहिछाण । आज हो, अनेक षटके करिने जे ऊपनां जी ।। १८. अण्णेण य जहणेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति १९. तेणं नेरइया छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया । २०. जे णं नेरइया नेगेहि छक्केहि पवेसणएहि पविसंति २१. ते णं नेरइया छक्केहि समज्जिया। २२. जे णं नेरइया नेगेहि छक्केहि *लय : दान सूं दालिद्र दूर श०२०, उ.१०, ढा०४०८ ३६९ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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