Book Title: Bhagavati Jod 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 403
________________ ६१. जहा उप्पलुद्देसे (श० ११२)। चत्तारि लेस्साओ, असीति भंगा। ६२,६३. चतसृषु लेस्यास्वेकत्वे ४ बहुत्वे ४ (वृ० प० ८०२) ६४-६७. तथा पदचतुष्टये षट्सु (द्विकसंयोगेषु प्रत्येक चतुर्भङ्गिकासद्भावात् २४ (वृ०प०८०२) ६१. जिम उत्पल उद्देशे कह्य रे, "तिणमें लेश्या च्यारज पाय जी। वारु अस्सी भांगा तेहनां कह्या रे, तिके संक्षेपे कहिवाय जी। सोरठा लेश्या सम्बन्धी भंग ६२. एक कृष्ण इक नील, इक वचने कापोत ह। तेजू एक समील, इक वचने इकयोगि चिउं ।। ६३. बहु कृष्ण बहु नील, बहु काऊ तेजू बहु । बहु वच चिउं समील, इकसंयोगिक भंग अठ ।। द्विकसंयोगिक २४ भांगा६४. द्विकयोगिक चउवीस, एक कृष्ण इक नील है। ए धुर भंग जगीस, एक कृष्ण बहु नील फुन । ६५. बहु कृष्ण इक नील, बहु कृष्ण बहु नील फुन । ए चउभंग समील, कृष्ण नील साथे कह्या ॥ ६६. इम चिउं कृष्ण कापोत, कृष्ण तेजु संग इम चिउं । नील काउ चिउं होत, नील तेउ संग इम चिउं ॥ ६७. काऊ तेक संग, इमहिज कहिवा भंग चिउं । ए चउवीस सुचंग, द्विकयोगिक भंग आखिया ।। त्रिकसंयोगिक ३२ भांगा६८. इक वच कृष्ण कहाय, एक नील कापोत इक । एक कृष्ण फुन थाय, एक नील कापोत बहु ॥ ६९. एक कृष्ण अवलोय, नील बहुं कापोत इक। एक कृष्ण फुन होय, नील बहु कापोत बहु ।। ७०. कृष्ण एक वच साथ, भंग चिउं ए आखिया। तिम बहु कृष्ण संघात, भांगा च्यार भणीजिये ।। ७१. आख्या ए अठ भंग, कृष्ण नील कापोत संग। इमहिज अष्ट सुचंग, कृष्ण नील तेज थकी। ७२. इमहिज अष्टज होय, कृष्ण काउ तेजू थकी। इमज अष्ट अवलोय, नील काउ तेज थकी ।। ६८-७२. तथा चतुर्षु त्रिकसंयोगेषु प्रत्येकमष्टानां सद्भावात् ३२ (व० ५० ५०२) यतली ७३-७८. चतुष्कसंयोगे च १६ एवमशीतिरिति, (वृ०प०८०२) चउक्व-संयोगिक १६ भांगा७३. एक कृष्ण नील एक पेख, इक कापोत तेज एक । फून कृष्ण एक नील एक, एक कापोत तेज अनेक ।। ७४. इक कृष्ण नील इक होय, बहु काउ तेजु इक जोय । इक कृष्ण नील इक जान, बहु काउ तेजू बहु मान । ७५. इक कृष्ण नील बहु ताय, इक काउ तेजु इक पाय । इक कृष्ण नील बहु मंत, इक काउ तेजु बहु हुंत ॥ ७६. इक कृष्ण नील बहु जेह, बहु काउ तेजु इक लेह । इक कृष्ण नील बहु लेख, बहु कापोत तेजु अनेक ।। श० २१, वर्ग १, ढा० ४०९ ३८५ Jain Education Interational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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