Book Title: Bhagavati Jod 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 390
________________ ५९. एक छक्के करि जेह, आज हो, उपनां ते सिद्ध ६०. एक इनके करि ख्यात नोछक्के करि तेह संख्यातगुणा बनि जी । समजता उपपात । आज हो तेह थकी संख्यातगुणा कह्या जी ॥ ६१. नो छक्क करि विरंच एक आदि दे पंच आज हो, तेह थकी संख्यातगुणा कह्या जी ॥ द्वादश समजतादि पद ६२. नारक स्यूं भगवान ! बार समज्जिया जान ? आज हो, एक समय में द्वादश ऊपनां जी ॥ ६३. के नोवारस धार? ते इक आदि इग्यार आज हो, ते पिण एक समय में ऊपनां जी ।। ६४. कै इक द्वादश धार, वलि एकादि इग्यार । आज हो तेह द्वादश नोद्वादश अपना जी ? ६५. के बहु-बार करेह, उपनां नरक विषेह ? आज हो, विकल्प चोथो एह कहीजिये जी ॥ ६६. बहु-द्वादश नोबार, ऊपनां नरक मकार ? , आज हो, विकल्प दाख्यो छे ए पंचमो जी । ६७. जिन कहै नारक जोय, बार समज्जिया होय । आज हो, जावत बहु द्वादस नोद्वादशी जी ॥ ६८. प्रभु ! किण अर्थे इम ख्यात, पांचू विकल्प थात ? आज हो, श्री जिन भावं सांभल गोवमा ! जी। ६९. जेह नारका जोय, इक इक द्वादश अवलोय | आज हो, करें रे प्रवेशन प्रवेशने करी जी ॥ ७०. ते नेरइया जाण, बार समज्जिया माण आज हो, विकल्प पहिलो आख्यो इह विधे जी ।। ७१. जेह नेरइया चीन, जघन्य एक बे तीन । आज हो, उत्कृष्ट ग्वार प्रवेशन जेहनुं जी ।। ७२. तेह नेरइया नेरइया ख्यात, ख्यात, नोद्वादश उपपात । आज हो, विकल्प जो दाख्यो इह विधे जी ॥ ७३. जेह नेरइया जंत, इक द्वादश उपजंत । आज हो, उपजे बलि एक प्रमुख ग्यारे लगे जी ।। ७४. ते नेरइया नेरइया ख्यात, तीजै विकल्प पात । आज हो, द्वादश नोद्वादश करि कपना जी ॥ ७५. जेह नेरइया जाण, बहु-द्वादश पहिछाण । आज हो, करें प्रवेशन प्रवेश करी जी ।। ७६. तेह तेरा रूपात, बहु-द्वादश उपपात । आज हो, विकल्प चउथो दाख्यो इह विधे जी ॥ ७७. जे नेरइया जन्न, बहु- द्वादश उपपन्न । आज हो, अन्य वलि एक प्रमुख ग्यारे लगे जी ॥ २७२ भगवती-जोड़ Jain Education International ५९. छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा, ६०. समजा, ६१. नोकसमजिया संखेज्जगुणा । ( ० २०११११) ६२. नेरइया णं भंते! कि बारससमज्जिया ? ६३. नोबारससमज्जिया ? ६४. बारसएण य नोबारसएण य समज्जिया ? ६५. वारसहि समजा ? ६६. बारसएहि य नोबारसएण य समज्जिया ? ६७. गोयमा ! नेरइया बारससमज्जिया वि जाव बारसएहि य नोबारसएण य समज्जिया वि । (स० २०।११२) ६८. से केणट्ठेणं जाव समज्जिया वि ? गोयमा ! ६९. जे णं नेरइया बारसएणं पवेसणएणं पविसंति ७०. ते णं नेरइया बारससमज्जिया । ७१. जेणं नेरइया जहणणेणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसण एणं पविसंति ७२. ते णं नेरइया नोबारससमज्जिया । ७३. जे या वारस अ वजह एक्केण वा दोहि वा तीहि वा उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसण एवं पविसंति ७४. ते णं नेरवा बारसएण य नोबारसएण य समज्जिया । नेरइया नेगेहि बारसहि ७५. जे णं पवित ७६. ते नेरइया बारसहि समज्जिया For Private & Personal Use Only पसणएहि ७०. जेणं नेरवा नेगेहि बारसहि अण्गेण व जहष्येणं एक्केण वा दोहि या वीहि या उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति www.jainelibrary.org

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