Book Title: Bhagavati Jod 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 372
________________ ५८. ववहारो ११३३ ६१. नंदी सू०६६ ६८. भगवती श० २।४९ ५८. वलि ववहार कथित्त, बहुश्रुत बहु आगम भण्यूं। श्रावक पश्चात्कृत्त, मुनि आलोवै तिण कनें ॥ ५९. इहां ग्रहस्थ आधार, बहुश्रुत आगम जिन कह्या । तसु सावज्ज व्यापार, ए तो एहथी छै जुदो॥ ६०. अर्थ रूप अवलोय, जाणपणु छै जेहनों। ते निरवद्य छै सोय, सूत्र तीर्थ छै जे भणी ।। ६१. मिथ्यादृष्टि देख, देश ऊण दश पूर्वधर । उत्कृष्टो संपेख, नंदी मांहि निहालजो।। ६२. मिथ्याती आधार, इहां प्रभु पूर्व आखिया । श्रद्धा तास असार, ते तो धुर आश्रय अछै ।। ६३. इमहिज पंचम आर, किण वेला मुनि नहिं थयां । द्रव्य लिंग्याद्याधार, सूत्र रूप तीरथ हुवै ।। ६४. संघ आधारे जेह, सूत्र रूप जे तीर्थ ते । निरंतर नहिं दीसेह, वर्ष सहस्र इकवीस लग ।। ६५. कदही संघ आधार, कदही अन्य आधार है। सूत्र तीर्थ सुखकार, वर्ष इकवीस हजार लग ।। ६६. कोइ कहै चिहुंविध संघ, तेह भणी तीर्थ कह्य । तसु आधार सुचंग, प्रवचन तीर्थ ते भणी।। ६७ पिण प्रवचन प्रशंस, द्रव्यलिंगी आधार तसु । तीर्थ तणोंज अंश, किम कहिये उत्तर तसु॥ ६८. पंडित मरण बे ख्यात, शत दूजे उद्देश धुर । पाओवगमन सुजात, भत्तपच्चक्खाणज दूसरो ।। ६९. मुख्य व चने करि न्हाल, मरण पंडित बे आखिया । मुनि अणसण विण काल, करै तिको पिण पंडित मृत्यु ।। ७०. बाल मरण फुन बार, मुख्य वचन करिने कह्या । बार मरण विण धार, असंजती नों बाल मृत्यु ।। ७१. पूरण तापस ताहि, वली जमाली तामली। बार मरण में नाहि, पिण बाल मरण ते जाणवो ।। ७२. मुख्य वचने करि बार, बाल मरण आख्या प्रभु । तिम तीर्थ संघ च्यार, मुख्य वचने करि जाणवा ।। ७३. पंडित मरण पिण दोय, मुख्य वचन करिने कहा। तिम चिहुं तीर्थ जोय, मुख्य वचन करि जाणवा ।। बा०—जिम भगवती शतक २, उ० १, सू० ४९ मुख्य वचने करी बालमरण १२ प्रकार नों कह्यो। अन असंजती-अविरती १२ प्रकार बिना चालतोई मर जाय, ते पिण बालमरणहीज छ। तथा तामली, जमाली प्रमुख नो बालमरणईज जाणवो । ते १२ में नथी कह्यो, ते माटै ए १२ प्रकार बाल मरण मुख्य वचने करी जाणवो। वलि पंडित-मरण बे प्रकारे कह्यो-पादपोपगमन, भक्तप्रत्याख्यान । ए पिण मुख्य वचने करी कह्या । जे संथारा बिना साधु आराधक पद पायो, ते पिण पंडितमरण हीज छ। जिम सर्वानुभूति, सुनक्षत्र मुनि नों संथारो चाल्यो नथी। ते भणी भक्तप्रत्याख्यान अने पादपोपगमन में तो नथी. पिण पंडितमरण ७०. भगवती श० २।४९ ३५४ भगवती जोड़ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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