Book Title: Bhagavati Jod 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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२५ कालगा ३ नीलगा ३ लोहियए १ हालिद्दगा ३ सुक्किलए १ २६ कालगा ३ नीलगा ३ लोहितगा ३ हालिए १ सुक्किलए १ एवं वर्ण नां भांगा २३१
गंध नां भांगा ६ पूर्ववत ।
रस नां भांगा २३१ वर्ण नीं परं ।
स्पर्श नां भांगा ३६ पूर्ववत ।
एवं अठ प्रदेशिक खंध नै विषे सर्व भांगा ५०४ ।
नवप्रदेशिक स्कन्ध में वर्णादि भंग
३५१. छानव प्रदेशिक नीं पेखा, जिन भाखं कदा वर्ण एक। अष्ट प्रदेशिक जिम तास, जाव कदाचित चिहुं फास ।। ३५२. जो एक वर्ण हवं संच, इक वर्ण संयोगे पंच। हुवै दोय वर्ण संयोग चालीस, तीन वर्ण योग अस्सी दीस || ३५३. प्यार वर्ण संयोगे जोय, अस्सी भांगा अवलोय । अष्ट प्रदेशिक नां स्वात इम कहिया भंग सुजात ||
"
पंचयोगिक वर्ण नां ३१ भांगा
३५४. जो पांच वर्ण तिण में होय, तो कदा कृष्ण वर्ण अवलोय । नील लाल पील मुश्किल रंग, पांचू इक वचने धुर भंग ।। ३५५. कदा कृष्ण नील लाल पील, चिहुं इक वचनेज समील । सुक्किल बहु वच बहू न मांय, ए द्वितीय भंग कहिवाय ॥ ३५६. इम अनुक्रमे करि करिवा, इकतीस भांगा उच्चरिवा । जाव इकतीसमों भंग ख्यात, कहूं जुआ जुआ अवदात ।। ३५७. कदा कृष्ण नील लाल जान, त्रिहुं इक वचने करि मान । पीलो बहु वच बहु नभ चंग, सुक्किल इक वच तीजो भंग || ३५८. कदा कृष्ण नील लाल एक, पीलो बहु वच बहु नभ पेख । सुक्किल बहु वच बहु नभ मांय, ए तुर्य भंग कहिवाय ॥ ३५९. कदा कृष्ण नील वच एक, लाल बहु वच बहु नभ पेख । पीलो इक वच इक नभ चंग, सुक्किल इक वच पंचम भंग ।। ३६०. कदा कृष्ण नील वच एक. लाल बहु वच बहु नभ देख
पीलो इक वच इक नभ पाय,
सुक्किल बहु वच बहु नभ थाय ॥ ३६१. कदा कृष्ण नील वच एक, लाल बहु वच बहु नभ पेख । पीलो बहु वच बहु नभ मांय,
सुक्किल इक वच इक नभ पाय ।। लाल बहु वच बहु नभ पेख ।
३६२. कदा कृष्ण नील वच एक,
पीलो यह वर्ष बहु नभ मांय,
सुक्किल बहु वच बहु नभ पाय ।। कृष्ण एक वचन नील बहु वचने करी ८ भांगा३६३. कदा कृष्ण एक वच होय,
नील बहु वच बहु नभ जोय । ए नवमों भांगो विशेख ॥
लाल पील धवल वच एक, *लय : म्हारी सासू रो नाम छं फूली
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३५१. नवपएसिए णं भंते ! खंधे - पुच्छा ।
गोममा सिय एमबी जहा अट्टमएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते ।
३५२, ३५३. जइ एगवण्णे ? एरावण दवण्ण विवरणचडवण्णा जहेव अट्ठपएसियस्स ।
३५४. जइ पंचवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य,
३५५. २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए विकलगाय
३५६. एवं परिवाडीए एक्कतीसं भंगा भाणियव्वा जाव
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श० २०, उ०५, ढा० ४०२ २९१
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