Book Title: Bhagavati Jod 05
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 303
________________ २८८. पंच चउक्क संयोग ए चंग, सर्व भांगा पचितर एह 1 इक इक संयोग पंच वर्ण नां च Jain Education International पनरै भंग । संयोगेह ॥ पोलो इक वच इक नभ मांय, २९४. कदा कृष्ण नील वच एक, पीलो इक वच इक नभ होय, २९५. कदा कृष्ण नील वच एक, पंचयोगिक १६ भांगा -- २८९. जो पंच वर्ण तिणमें होय, तो कदा कृष्ण नील लाल जोय । पील सुक्किल पांचू वच एक ए प्रथम भंग संपेख || २९०. कदा कृष्ण नील लाल पील, चिहुं इक वच इक नभ मील । सुक्किल बहु वच बहु नभ मांय, ए द्वितीय भंग कहिबाय || २९१. कदा कृष्ण नील लाल थाय, त्रिहुं इक वचने कहिवाय । पीलो बहु वच बहु नभ मांय, धवलो इक वच इक नभ थाय ॥ २९२. कदा कृष्ण नील लाल पेख, त्रिहुं इक वचनेज उवेख | पीलो बहु वच बहु नभ मांय, धवलो बहु वच बहु नभ पाय ।। २९३. कदा कृष्ण नील वच एक, लाल बहु वच बहु नभ पेख | धवलो इक वच इक नभ पाय ।। लाल बहु बच बहु नभ पेख । धवलो बहु वच बहु नभ जोय ।। लाल बहु वच बहु नभ पेख | पीलो वह वच वह नभ याय, धवलो इक बच इक नभ पाय ।। नील बहु बच बहु नभ लेह । लाल पील धवल वच एक, ए अष्टम भंग उवेख || नील बहु वच बहु नभ लेह । सुक्किल बहु वच बहु नभ हुंत ॥ नील बहु वच बहु नभ लेह | लाल इक वच बहुवच पील, सुक्किल इक वच इक नभ मील ॥ २९६. कदा कृष्ण एक वचनेह, २९७. कदा कृष्ण एक वचने, लाल पील एक वच मंत, २९८. कदा कृष्ण एक वचनेह, २९९. कदा कृष्ण एक वचनेह, नील बहु वच बहु नभ लेह | लाल बहु बच बहु नभ पाय, पीलो बुक्किल एक वच थाय ।। ३००. कदा कृष्ण बहु वच हुंत, नील इक वच इक नभ मंत । लाल इक वच इक नभ होय, पील सुक्किल एक वच जोय ॥ ३०१. कदा कृष्ण बहु वच कहिये, नील इक वच इक नभ लहिये । लाल पील एक वच जाणं, सुक्किल बहु वच बहु नभ आणं ।। ३०२. कदा कृष्ण बहु वच होय, नील लाल एक वच जोय । पीलो बहु बच बहु नभ पेख, सुविकल इक बच इक नभ लेख | ३०३. कदा कृष्ण बहु वच ख्यात, नील इक वच इक नभ थात । लाल बहु वच बहु नभ रहिया, पील धवल एक वच कहिया || ३०४. कदा कृष्ण बहु वचनेह, नील बहु वच बहु नभ लेह । लाल पील निकल बच एक ए सोलमों भंग संपेल ।। २०५ इम एक संयोगे पंच, द्विक संयोगे चालीस संच । त्रिक संयोग अस्सी पवर, चउक्क संयोगे भंग पचंतर ॥ ३०६. पंच संयोगे सोल कहाय, सहु दोसी सोले पाय सप्त प्रदेशिया नां कहेह, भंग पंच वर्ण नां एह ॥ २०७. गंध न इक संयोगे दोय, द्विक संयोग विहं अवलोय । कहिये च्यार प्रदेशिक जेम, गंध नां षट भंगा तेम ।। । २८८ एवमेते पंच चउक्कासंजोगा नेयव्वा, एक्केक्के संजोए पन्नरस भंगा, सव्वमेते पंचसत्तरि भंगा भवंति । २८९. जइ पंचवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य, २९० २. पिकालएव नीलए व लोहिया व हालिए सुलगा प २९१. ३. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए म २९२. ४. सिय कालए य नीलए य लोहिए य हालिगा य सुविकलगाय २९३.५. सिकाए पनीलए व लोहिया व हालिए य सुक्किलए य, २९४. ६. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिहगे सुलगा व २९५. ७. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिगा य सुक्किलए य २९६ सा नीलगाय लोहियएव हालिए सुक्किए प २९७. ९. सिय कालए य नीलगाय लोहियए य हालिए यकिलगाय २९८. १०. सिय कालए य नीलगाय लोहियगे य हालिगा य सुक्किलए य, २९९. ११. सिय कालए य नीलगाय लोहियगा य हालिए सुनिए व ३००. १२. सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिइए य ३०१. १३. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलगाय कालगा य नीलए लोहिया य ३०२. १४. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिगा सुक्किए प ३०३. १५. सिय हालिए निकल प ३०४. १६. सिय कालगा य नीलगाय लोहियए य हालिए य सुक्किलए य, ३०५,३०६. एए सोलस भंगा, एवं सव्वमेते एक्कग दुयगतियग- चउक्कग-पंचगसंजोगेणं दो सोला भंगसया भवंति । ३०६. गंधा जहा चप्पएसियस्स । For Private & Personal Use Only श० २०, उ०५, ढा० ४०२ २८५ www.jainelibrary.org

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