Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

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Page 32
________________ में बंगाल देश में सर्वत्र ही बौद्धधर्म ने अवश्य प्रचार पाया था, इस में संशय नहीं है। तथा ह्य सांग के समय बंगाल के पूर्व तम प्रांत समतट में भी बहुत बौद्ध संघाराम, बौद्ध भिक्षु एव अशोक स्तूप विद्यमान होना कोई विचित्र बात नहीं है । किन्तु अशोक के प्रचार के फलस्वरूप बंगाल में बौद्धधर्म ने कहां तक प्रसार पाया था यही निश्चय करने का हमारा यहां मुख्य प्रयोजन था । अन्यान्य देशों के समान कलिंग में भी उस ने बौद्धधर्म का प्रचार किया था किन्तु इतना करने पर भी कलिंगदेश में बौद्धधर्म विशेष प्रचार न पा सका था। हम लिख. चुके हैं कि जैन सम्राट खारवेल एव चीनीयात्री ह्य सांग के समय में भी कलिंग में जैनधर्म ही प्रधान था। सातवीं शताब्दी में वहां पर बौद्धों की संख्या खूब ही कम थी। हम देखेंगे कि अशोक के पूर्ववर्ती युग में भी कलिग में जैनधर्म का ही प्रभाव अधिक था । कलिंग के समान बंगाल में भी अशोक द्वारा बौद्धधर्म का प्रचार होने पर भी बौद्धधर्म अधिक प्रसार न पा सका था। ह्य सांग - के समय बंगाल के पूर्व तम प्रांत में अर्थात् समतट में बहुत बौद्ध थे किन्तु जैनों की संख्या ही सब से अधिक थी। समतट के समान पौंड्र वर्घन में भी जैनों की संख्या ही सब से . अधिक थी। हम पहले लिख चुके हैं कि गुप्तयुग में बंगाल में जैनों का प्रभाव खूब ही अधिक था एवं पौंड्रवर्धन, कोटिवर्ष, ताम्रलिप्ति तथा कवँट भी जेना के ही प्रधान केन्द्र थे। __ आनन्द का विषय है कि अशोक के समय में भी पौंडवर्धन में जैनों का ही विशेष प्रभाव था; इस के अनेक प्रमाण

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