Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

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Page 89
________________ के १३६ वर्ष बाद निकला है” निराधार और कल्पित मात्र है। इन दिगम्बरों के "दर्शनसार नामक ग्रंथ में श्वेतांबरों की उत्पत्ति के विषय में प्राकृत भाषा की यह एक गाथा पायी जाती है : "छत्तीस वास सए विक्कम निवस्स, मरण पत्तस्स सोरठे वल्लहीए, सेवड संघ समुपन्नो ॥" अर्थ :-"राजा विक्रमादित्य की मृत्यु के १३६ वर्ष बाद सौराष्ट्र देश की वल्लभी नगरी में श्वेतपट (श्वेतांबर) संघ उत्पन्न हुआ।” प्राचीन जैन संघ से दिगम्बर संप्रदाय का अलग होना एकांत नग्नत्व का आग्रह ही था इसी कारण से महावीर के शासन में संघभेद हुआ। संघभेद होने का प्रसंग बड़ा मनारंजक है परन्तु इस निबंध का यह आलोच्य विषय नहीं है। हम लिख आये हैं कि श्वेतांबर तीर्थंकरों का नग्न और अनग्न दोनों प्रकार की मूर्तियां मानते हैं इस लिए उन्होंने पूजा अर्चा के लिये दोनों तरह की मूर्तियां स्थापित की, हर्ष का विषय है कि आज भी अनेक श्वेतांबर जैनमंदिरों में श्वेतांबर जैनाचार्यों द्वारा प्रतिष्ठित जैन तीर्थंकरों की अनेक नग्न मूर्तियां विद्यमान हैं। __नग्न मूर्तियों के विषय में पर्याप्त आलोचना की जा चुकी है। अब हम जैन तीर्थंकरों की अनग्न मूर्तियों के विषय पर भी संक्षिप्त उल्लेख करना उचित समझते हैं । हम लिख आये हैं कि श्वेतांबरों की यह मान्यता है कि तीर्थकर जब दीक्षा ग्रहण करते हैं तब उन्हें इन्द्र देवदूष्य वस्त्र देता है तथा देवदूष्य के गिर जाने के बाद से वे नग्न अवस्था में रहते हैं उस समय उन के अतिशय के प्रभाव से उन का नग्नत्व

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