Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

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Page 95
________________ की अनेक अवस्थाओं की मूर्तियां आराधना के लिये प्रतिष्ठा करता आ रहा है जिस का समावेश नग्न और अनग्न दानों तरह की मूर्तियों में होता है। तथा इस से यह भी स्वतः सिद्ध है कि अलंकारों सहित जैन तीर्थंकरों का मूर्ति की मान्यता भी जैनों में उतनी ही प्राचीन ह जितनी कि नग्न मूर्ति की मान्यता । लेखक :व्याख्यान-दिवाकर, विद्याभूषण पं० श्री हीरालाल जी दूगड़ जैन; . न्यायतीर्थ, न्यायमनीषी, स्नातक ।

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