Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

View full book text
Previous | Next

Page 39
________________ २८. बदले बंस अर्थात् वत्स जनपद का नाम देखा जाता है। इस से धारणा होती है कि अंगुत्तरनिकाय की तालिका में भूल से बंस के बदले बंग लिखा गया होगा। किन्तु बौद्धधर्म के आविर्भाव के समय अवश्य ही बंग जनपद विद्यमान था। ऐसा होते हुए भी प्राचीन बौद्ध पाली साहित्य में बंगालदेश सम्बन्धी और कोई भी उल्लेख नहीं है। अतएव प्राचीन बौद्ध साहित्य की बंग जनपद सम्बन्धी नीरवता (चुप्पी) से यह स्पष्ट प्रमाणित होता है कि बौद्धधर्म उस समय तक बंगाल में प्रचार नहीं पा सका, तथा बौद्धधर्म के अविर्भाव के बाद प्रथम दो एक शताब्दी तक यह धर्म बंगालदेश में विस्तार न पा सका होगा। पान्तु जैन साहित्य में बंगालदेश ने खूब गौरव का स्थान प्राप्त किया था। “भगवती” नामक पंचम जैन अंग में जिन सोलह जनपदों का नाम दिया हुआ है उन में अंग और बंग के नाम ही. सब से पहिले उल्लेख किये हुए है । मात्र इतना ही नहीं परन्तु मगध से भी पूर्व इनका नाम दिया है । इस तालिका में राढ़ अर्थात् पश्चिम बंगाल का नाम भी है। इस के बाद प्रज्ञापणा नामक चतुर्थ जैन उपांग में भारतवर्ष के आर्य अधिवासियों को नव भागों में विभक्त किया हुआ है । इन में प्रथम भाग में क्षेत्रिय आर्य ही उल्लिखित है । इस प्रथम भाग में ही अंग, (राजधानी चम्पा) बंग (राजधानी - अंग, बंग, मगह, मलय, मालवय, अच्छ, वच्छ, कोच्छ, पाढ, लाढ, वज्जि मोली, कासी, कोसल, अवाह, संभुत्तर (सुम्होत्तर) (भगवती पंचमांगे) (अनुवादक)

Loading...

Page Navigation
1 ... 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104