Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

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Page 67
________________ गप्प गप्प विवेचन करना इस लेख का विषय नहीं है । लिपि और भाषा के परिवर्तित होने पर भी उस के अधिकतर शब्दों का उच्चारण प्रायः मागधी भाषा का ही है जैसा कि :बंगाली भाषा में लेखन मागधी लेखन तथा पठन बंगाली उच्चारण अात्मा श्रात्ता यात्ता लक्ष्मी लक्खी लक्खी गल्प अक्षय कावय अक्खय निर्मल निम्मल निम्मल गुप्त • गत्त गुत्त शिक्षा सिक्खा सिक्खा संक्षित संक्खित्त संक्खित्त ___ बंगाली विद्वान श्री क्षितिमोहन सेन कहता है कि आज भी बहुत जैन शब्द बंगाल की खासकर पूर्वबंगाल की भाषा में मिलते हैं । जैन लिपि के साथ इतना नागरी लिपि का सम्बन्ध नहीं है। जितना बंगला लिपि का सादृश्य है । जैसा कि :बंगलालिपिः- कति माविक दल माशार कोश वश जैन लिपि :- कवि मानिक देव माड़ा घाष चोथ निम । नागरी लिपि :- कवि मानिक दैव मोड़ा घोष चौथ नेम । ___(अनुवादक) इति । अनुवादक लेखक. व्याख्यान-दिवाकर, विद्याभूषण श्री प्रबोधचन्द्र सेन, .. .... श्री हीरालाल दगड़ । एम० ए० .... न्यायतीर्थ, न्यायमनीषी, स्नातक

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