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दूसरा लेख
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नमो अरहंताणं, नमो सिद्धाणं सं० अस्यां पूर्वाये रारकस्ये आर्य कक्क संघस्तस्य शिष्य यस्य निर्वतण चतुर्वण संघस्य या दिन्ना वैहिकाये दत्ति ।।
६२ ग्र० ३ दिन ५ तपिको गहवरी पडिमा
ग०
अर्थ :- अरहंतों को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, संवत् ६२%, उष्तकाल का तीसरा महीना मिति ५ को आर्य कक्क संघ के शिष्य आतपीक औगहक आर्य द्वारा प्रतिष्ठित करवा कर चतुवर्ण संघ की अर्चना के लिये अर्पण की ।
तीसरा लेख :
सिद्ध ं । महाराजस्य कनिष्कस्य राज्ये संवत्सरे नवमे (६) मासे प्रथ० (१) दिवसे ५, अस्याँ पूर्वाये, कौटियतो गणतो, वाणियतो कुलतो, No. 6, script No. 13, Samvat 20 Jain Figure. में लिखा है कि :
This inscription which is dated in the Samvat year 20, in the first of Grishma (the hot season) the 25th. day, records the gift of one statue of Vardhman (Pratima 1 ) an as the figure is naked. There can be no doubt that it represents the Jain Vardhman or Mahavira the twentyfourth Pontiffs. (B. C. 37 )
* यह संवत् इंडो सेंथियन नरेशों किन्तु इन के पहले के किसी राजा का संवत् उस लेख की लिपी अत्यन्त प्राचीन है।
के साथ सम्बन्ध नहीं खाता प्रतीत होता है । क्योंकि ( डाक्टर बूल्हर)