Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

View full book text
Previous | Next

Page 74
________________ दूसरा लेख : ६३ नमो अरहंताणं, नमो सिद्धाणं सं० अस्यां पूर्वाये रारकस्ये आर्य कक्क संघस्तस्य शिष्य यस्य निर्वतण चतुर्वण संघस्य या दिन्ना वैहिकाये दत्ति ।। ६२ ग्र० ३ दिन ५ तपिको गहवरी पडिमा ग० अर्थ :- अरहंतों को नमस्कार, सिद्धों को नमस्कार, संवत् ६२%, उष्तकाल का तीसरा महीना मिति ५ को आर्य कक्क संघ के शिष्य आतपीक औगहक आर्य द्वारा प्रतिष्ठित करवा कर चतुवर्ण संघ की अर्चना के लिये अर्पण की । तीसरा लेख : सिद्ध ं । महाराजस्य कनिष्कस्य राज्ये संवत्सरे नवमे (६) मासे प्रथ० (१) दिवसे ५, अस्याँ पूर्वाये, कौटियतो गणतो, वाणियतो कुलतो, No. 6, script No. 13, Samvat 20 Jain Figure. में लिखा है कि : This inscription which is dated in the Samvat year 20, in the first of Grishma (the hot season) the 25th. day, records the gift of one statue of Vardhman (Pratima 1 ) an as the figure is naked. There can be no doubt that it represents the Jain Vardhman or Mahavira the twentyfourth Pontiffs. (B. C. 37 ) * यह संवत् इंडो सेंथियन नरेशों किन्तु इन के पहले के किसी राजा का संवत् उस लेख की लिपी अत्यन्त प्राचीन है। के साथ सम्बन्ध नहीं खाता प्रतीत होता है । क्योंकि ( डाक्टर बूल्हर)

Loading...

Page Navigation
1 ... 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104