Book Title: Bangal Ka Aadi Dharm
Author(s): Prabodhchandra Sen, Hiralal Duggad
Publisher: Vallabhsuri Smarak Nidhi

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Page 38
________________ करना आवश्यक प्रतीत होता है। बौद्ध संयुक्तनिकाय के तीन स्थानों में वर्णन है कि एक समय भगवान बुद्ध 'सुम्भ' (अर्थात् सुम्ह) के सेदक अथवा सेतक नामक निगम (अर्थात् नगर) में विहार करते थे । “तेलपत्त” जातक में लिखा है कि "सुम्भर?" अर्थात् सुम्हराष्ट्र में देसक नामक निगम के निकटवर्ती किसी वण में वास करते समय भगवान् बुद्ध ने जनपद कल्याणी सुत्त के सम्बन्ध में अपने शिष्यों के निकट एक कथा कही थी। सेदक अथवा देसक संभवतः एक ही होंगे। इन दोनों कथाओं से यह धारणा होती है कि किसी समय सुम्ह देश अर्थात् दक्षिण राढ़ में धर्म प्रचार करने के लिये बुद्धदेव आये थे। खेद का विषय है कि बंगालदेश में बुद्धदेव के धर्म प्रचार करने का और कोई भी प्रमाण उपलब्ध नहीं है। बौद्ध पाली साहित्य में बंगीश एवं उपसेन बंगन्तपुत्त इन दो बौद्ध भिक्षुओं का नाम पाया जाता है। बुद्धघोष की मनोरथपूरणी नामक टीका में बंगन्तपुत्त शब्द का अर्थ किया हुआ है कि "बंगन्त ब्राह्मण का पुत्र"। किन्तु बंगन्त ब्राह्मण से क्या समझना चाहिये सो कुछ समझ में नहीं आता। अतएव बंगीश तथा बंगन्तपुत्त के साथ बंगालदेश का कुछ संपर्क था या नहीं, इस के लिये कुछ निश्चित रूप से नहीं कहा जा सकता। मात्र अंगुत्तरनिकाय में ही सुविख्यात सोलह जनपदों की तालिका में बंग देश का नाम पाया जाता है। परन्तु अन्य बौद्ध साहित्य में सर्वत्र ही सोलह जनपदों की तालिका में बंग के *अंग, मगध, कोसी, कोसल, वज्जि, मल्ल, चेति, वंस, कुरु, पंचाल मच्छ, सूरसेन, असमक, अवन्ति, गंधार, कम्बोज । (अंगुत्तरनिकाय १ पृ० २१३) (अनुवादक)

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