Book Title: Ayodhya ka Itihas
Author(s): Jeshtaram Dalsukhram Munim
Publisher: Jeshtaram Dalsukhram Munim

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Page 28
________________ अयोध्यो का इतिहास : [ १५ ] पवित्र विनता नगरी में गजानाभि के वहां भगवंत कुमारावस्था में जब रहे तय एक दिन युगलीये माकर , माकर प्रौर धिक्कार- इन तान नीतियों को उलहन करने लगे इस कारण यगलीये प्रभु के पास आये । और प्रभु से अनुचित बातों के सम्बन्ध में निवेदन किया जाति स्मरण पान प्रभु ने कहा "लोक में जो मर्यादा का उलंघन करते हैं, उन्हें शिक्षा देनेवाला राजा होता हैं। युगलियो ने कहा- "स्वामिन् आप हो हमारे राजा है। यह बात सुनकर प्रभु ने कहा- "तुम नाभिकलकर के पास जाकर प्रर्थना करो वही तुझे राजा देंगे। " यगलियों ने प्रभु की माझानुसार नाभिकुलकर के पास जाकर सारा हाल निवेदन किया जबाब में यही मिला कि "ऋषभ तुलारा राजा हो* युगलिये खुश होते हुये भगवान् के सन्मुख प्राकर नमन किया । सौधर्म करप के उस इन्द्र ने सोने की देरी रचकर पाण्डक बला शिला के समान सिंहासन बनाकर तीर्भ जल से प्रभु का राज्याभिषेक किया । तब श्रीमादि मानव श्रेष्ठ भगवंत ऋषभ देव इस संसार का बंधारण और जेन मार्य संस्कृति की रचना कर समस्त जीवों पर अनन्त उपकार किया।

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