Book Title: Ayodhya ka Itihas
Author(s): Jeshtaram Dalsukhram Munim
Publisher: Jeshtaram Dalsukhram Munim

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Page 34
________________ [२१] कनक भवन मंदिर में प्रतिमा स्थापना कर भगवान के आदेशानुसार रत्नप्रतिमा साथ लेकर श्रीशेगंजय तीर्थ की स्थापनार्थ संघनी काल कर सिद्धक्षेत्र श्रीशेजय तीर्थ पर प्रथमोद्वार कर प्रथम सिद्धेश्वरजी के पवित्र कर कमलों से श्री ऋषभदेवजीकी, श्रीगणधर स्वामी पुंडरीकजी की प्रतिमा स्थापन की । अयोध्या का इतिहास । श्रीपांच भगवान के १६ कल्याणक । आर्यावर्त के भरत क्षेत्र में उत्तर कोशल की प्रजोड पवित्र भूमि में ऋषभदेव के व्यवन, जन्म और दिक्षा ऐसे तीन कल्याणक । २-भगवान श्री अजितनाथजी के ३-भगवान श्रीमभिनन्दन, ४ - भगवान श्रीसुमतिनाथ, १४- भगवान श्रीमनंत नाथजी के व्यवन, जन्म, दिक्षा और कैवल्य ऐसे चार करके १६ मिल कर ११ कल्याणक हुये । इति प्रथम सर्ग | कनकभवन – सत्ययुग में श्री ऋषभदेवजी के देशनानुसार श्रीभरतेश्वरजी ने कनक-सुवर्ण मन्दिर वनवाकर रत्नजटित प्रतिमा स्थापनकी वाद द्वापर में युधिष्ठिर संवत् पूर्वे ६१४ श्रीकृष्णवासुदेवे यात्राकर कलस चढाया युधिष्ठिर संवत् १४३१ - इ - स- पूर्व २४८ महाराजाविक्रमादित्य जब महाकविकुल भूषण कालीदास के साथ आकर उसका arriaार किया ।

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