Book Title: Ayodhya ka Itihas
Author(s): Jeshtaram Dalsukhram Munim
Publisher: Jeshtaram Dalsukhram Munim

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Page 48
________________ प्रयोध्या का इतिहास | [३५] जिस नाटक का नायक अग्निमित्र पुष्यमित्र का लडका रहा जिसका जिक्र काशी नागरी प्रचारिणी पत्रिका में दिया है उस समय जैनधर्म पर धक्का जरूर लगा है विहार में बाधायें जरूर पड़ी हैं पुष्पमित्र ने सारा मगध पर अपना अधिकार जमालिया उत्तर कौशल राज्य के जो राजायें रहे वो अपने मंडलेश्वर खण्डिये बनाये गये मगर कोई भी धर्म पर प्रहार करने वाला का दौर ज्यादा दिन टिक नहीं सकता । इ० . पूर्व १६५ में कलिङ्गपति x 'खारवेल' का आक्रमग हुमा उस लड़ाई में पुष्पमित्र भागकर मथुरा में जाकर छिप गयो उस अरसे मे इ. स. पूर्व ६०० की राज ग्रही तीर्थ में स्थापित श्रीमरिहंतकी प्रतिमो वचाकर अपने साथ लेकर लड़ाई शान्त होने पर पाटलीपुत्र में गज्या रोहण के साथ भुवनेश्वर के निकट प्राची नदी के तटपर उदयगिरि ( कुमारीगिरि) की हाथी गुफा में एक प्रासाद x “भारत भूमि और उसके निवासी” पृष्ट १८ - में श्रीजयचन्द्र विद्यालङ्कार - रोयल एशियाटीक सोसाइटी कलकत्ता - बिहार, प्रोडसा की रीचर्स सोसाइटीका जनरल का तृतीय बिभाग चतुर्थ संख्या- पृष्ठ ४३५-५०७ में आर्कोलोजिकल फइण्डिया एन्युअल रिपोर्ट सन् १९०२,३ प्रचीन जैनलेख संग्रह भाग १ - उपोद्घात पृष्ट ३८ (गुजराती)

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