Book Title: Ayodhya ka Itihas
Author(s): Jeshtaram Dalsukhram Munim
Publisher: Jeshtaram Dalsukhram Munim

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Page 46
________________ प्रणेध्या का इतिहास। [ ३] के साथ न्याहकर दिया आपसे जो पुत्र हुआ वो जज्जैन को गद्दी पर बैठा जिसका नाम था प्रगत-या-इन्द्रपालीत-संप्रति ___ इ.स-पूर्व २२१ से २२२ पूर्व तक महाराजा सम्प्रती दादा के साथ लड़ाई कर पाटलिपुत्र की गद्दीपर घेठे मापने उज्जैनीनगर मध्ये जैनाचार्य श्री प्रार्य सुहस्तीसूरिजी के प्रति वौद्धसे जैनधर्म अङ्गीकार किया मापने अयोध्या में प्रथम श्री आदिश्वरजी का दिक्षा कल्याणवाला मन्दिर बम वाया हालमें आपके वक्तकी प्रतिमायें मौजूद है, मापने व्रत लिया था कि रोज एक मन्दिर में जैन प्रतिमा स्थापन कर श्रवण करके दतून धरते आपने सवालक्ष जैन मन्दिर, सवा फरोड़ नवीन प्रतिमायें भराई ३६ हजार जीर्णोद्धार किये १५ हजार धातु प्रतिमाये भराई १लक्षदान शालायें बनवाई जैनधर्म का शासन धर्म को प्रचार के खातिर काबुल ग्रीकदेश एयंत उपदेशक भेजे, बहुत से परधर्मी महान सागर सम जैन प्राय शासन में मिल गये मार्य जैन संस्कृतीका प्रवाह इतना वढ़ाके सारा एशिया खण्ड में जैन शासन झण्डा फहराने लग गयों उसवत का आर्यावर्त का एक एक वच्चा अपने को "अहिंसा परमोधर्मः” कहने में गौरव समझता था मार्यावर्त के कोने कोने में जैनधर्म की वीरहाक सुनाई पडती थी मगर क्या ? प्रति पक्षियों से ये कुछ सहन न हो सका !?

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