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अयोध्या का इतिहास |
में से भोयरा में से निकली हुई प्राचीन दो प्रतिमायें है जिसमें से एक प्रतिमा पर लेख नहीं दिखाई पडता परन्तु प्रतिमायें कसोटी के पत्थर की है और पञ्चतीर्थी प्रतिमा है जिस प्रतिमा पर बहुत से प्राचीन चिन्ह है एक तो हस्तकमल में बिजौरा, लंगोट, और शिखा लंबी है और दो का सम्गीया के दस्त बैठी प्रतिमा जैसा ध्यानास्थ दोनों मिले हुये और उस हस्त में भी बिजोरा बना हुवा है प्रतिमा अभिनन्दन भगवान की है दूसरी प्रतिमा श्री अरिहन्त जी की है जिस पर का एक वाजू का लेख मिटा हा है और एक बाजू पर लिखा है जिस प्रतिमा का लंछन क्या है ?
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अयोध्या यां "सं० | १० पवादी संघ श्रमणस्य ये संवत् किस है ? सम्राट कनिष्क का जो सवत मथुरा की पुरानी प्रति मा पर मालूम होता है वोई और उसके पहिले का है मगर जब १ ला चीनी यात्री फाह्यान जब अयोध्या आया त्व यहां पर अरिहंत मन्दिर और प्रतिमा देखी थी ।
* तीर्थयात्रा *
श्री तीर्थंकर देवोनी जन्मभूमि दीक्षा भूमि, केवल ज्ञान भूमि, निर्वाणभूमि, बिहार भूमि से सर्व तीर्थं भूमि कही जाती है और उस्था प्रस्थ में वन ने जहां पर भिक्षा लिया