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अोध्या का इतिहास।
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___इ० १६३१- मे गोस्वामोजीये तुलसीकृत रामयण रचो
इ० स० १७१३- में सादतखां लखनऊ पञ्जाब अवध का नवाब हुवा।
इ. स. १८०० में शाकद्वीपीय ब्राह्मण राजा अयोध्या राजगद्दी पर
अयोध्यो का वर्णन तीर्थ कल्प में।
श्री जिनप्रभासूरि कृत "तीर्थ कल्प” नामक ग्रन्थ में श्री अयोध्याजी तीर्थं के लिये जो लिखा है, सो नीचे दिया जाता है। विक्रम की चौदवीं शताब्दी में विद्यमान थे जैन वृक्ष के पृष्ठ ६५ में आपको श्री महावीर तीयंडर के ७५ वीं पाठ पर विराजमान लिखे हैं।