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- अयोध्या का इतिहास।
अउज्झा, एगठिाए जहा, अउज्झा, कोशला, विणीश्रा, साकेथे, इकखगु भूनि रामपूरि कोशलत्ति एसा सिरिउसभ, अजिअ, अभिनन्दन, सूमई अणंत, जिणाणं, तहां नवस्म श्रीसीवीर गणहर अचल भाडणो जन्मभूमि जाय अह भरहव सुहागोलस्स मझ भूया सया
नव जोयण वित्थीणा बारस जोयण दीहाय
जत्थ चक्केसरी रयण मयायणहि अपडीमा संघ विग्घहरेइ गौमुहजवख्खो।
जत्थ गग्घर दहो सरयु नइए सममीलीत्ता सग्गदुवारं तिप सिद्धीमावन्नो।
अयोध्याजीको प्राचार्य जी पांच नाम बताते है भयोध्या विनीता, कौशल या सांकेत पुर जहां कोशलपती रामकी पुरी भी थी जहां पर जैन तीर्थङ्कर प्रथम रूषभदेवजी, अजीतनाथ अभिनन्दन सूमतिनाथ, अनन्तनाथ है १९ कल्याणक हुये है जहां पर महावीर स्वामी के नवमें गणधर अचलजी का जन्म हुआ था ऐसी अजोड़भूमि बारा योजन चौड़ी नव योजन लम्बी थी जहां पर देवी चक्क सरी यक्ष गौमुखान श्रमण संघ का विघ्न हरते है याने रक्षा करते है जहां पर गागरा, सरजु नदी का संगम स्वर्गद्वारी पर होता है ऐसी प्रसिद्ध नगरी अयोध्याजी जैन धर्म की पवित्र भूमि है।