________________
अयोध्या का इतिहास |
[८]
कोई दस देव मन्दिर है जिनमें अनेक सम्प्रदायी निवास करते हैं । राजधानी में एक प्राचीन संघाराम हैं जिसमें भगवान बुद्धदेव ने वास कर सूत्र बनाये थे और जहां पर वसुबन्धु बोधीसत्व ने कई वर्ष के कठिन परिश्रम से अनेक शास्त्र हीनयान महायान दोनों सम्प्रदाय विषयक निर्माण किये थे अनेक देश के राजाये वडे मादमी के भ्रमण के के निमित्त धर्मोपदेश किया था ।
लिये उपकार
नगर के उत्तर सरयू किनारे पर बडा संघाराम है जिसके भीतर अशोक राजा वनाया हुआ एक बड़ा स्तूप २:० • फीट ऊंचा है यह वह स्थान है जहां पर तथागत भगवान ने देव समाज के उपकार के लिये तीन मास तक धर्म के उत्तमोत्तम सिद्धांतों का उपदेश किया था जहां पर भगवान आदिश्वरजीका जन्म हुआ था जिस पर बड़ा जैन मंदिर है उसके पास मे ही एक स्थान है जिसकों उगश्रय कहते हैं जहां पर लब्धी शास्त्री ये सौत्रान्तिक सम्प्रदाय सम्बन्धी शास्त्र का निर्माण किया था ( ये वोही गौतमलब्धी शास्त्री जी है जो भगवान चमं तीर्थंकर के प्रथम गणधर हुये थे और जैनधर्म के ग्रन्थों को निर्माण किये थे )
मगर के दक्षिण-पश्चिम में सडक पर बाईं ओर एक बडा संघाराम और चैत्यालय - देवाश्रम है जहां पर असंख्य