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प्रयोध्या का इतिहास ।
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हो वो भी तोर्थभूमि सव भूमि भव्य जीवों के शुभ भाव की प्राप्ति करानेवाली होने से संसार सागर से तारना रहे ये तीर्थों में सम्यग्दर्शन आदि की विशुद्धि के लिये तीर्थ की विधि पूर्वक यात्रा करनी चाहिये कल्याण के अर्थी आत्माओं के लिये ही तीर्थभूमि है वहां जाने से अपने को वहुत फल प्राप्त होता है अनेक धर्मी आत्माओं के दर्शन हो, पवित्र भूमि को स्पर्शना हो वहां पर श्रीमंता के धीमंताइ का उपयोग पाप क्रिया में न होवे ये सब भावना तीर्थ भूमि पैदा कर सकता है इस लिये भवदद्धि में से तारनार होइ ये सब तीर्थ कहलाते हैं तीर्थ को विधि पूर्वक यात्रा करनी चाहिये ।
तीर्थ महोत्म |
तीर्थ यात्रा महत्व !.
श्री
देव के आत्माओं ने तीर्थकी साधनाकी तीर्थ की स्थापना को तव व्याप तीर्थंकर वने मोर वही तीर्थ की सेवना करने से तीर्थ' पती वने हैं महात्माओं ने कहा है कि तपतो की सेवा करने से तीर्थ सवकी सेवा का फल प्राप्त होता है यानी तीर्थ की सेवा में तीर्थङ्कर की सेवा जाती है
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