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अयोध्या का इतिहासा
गुप्तवंशियोंका मगधमें से टूटना साधुओंका बिहार भुशांग वंशका जोर जुल्म - कलिङ्गपती का
युनानी का धावा ।
इ.स. पूर्व १८५ में मौर्यवंशी १ मां राजा ब्रहद्रथ का सेनापती पुष्पमित्र अपने स्वामी को कमजोर समझ कर दगा से मारकर मौर्य वंशियों को भगाकर पाटलीपुत्र की गद्दी पर जवरदस्ती से बैठ गया गज्य में गड़बड़ी पड़ गई धर्म में धक्का पहुंचा साधु महाराजाओं को विहार में दुःख होने लगा पुष्पमित्र कट्टर सनातनी रहा उसके साथ में पाणिनी नाम का भाचार्य रहो जिसकी सहायता से प्रथम वार वौद्धोंको सताया पूर्व मगध से लेकर पश्चिम जालन्धर तक मेसे बहुत से बौद्ध मठ जला दिये वौद्ध भिक्षु मार डाले गये और अयोध्या में २ + अश्वमेध यज्ञ किया जिसका वर्णन "माल्विकाग्निमित्र नाटक में आयो है
+ "पुष्पमित्रं याजयामः " | --पतञ्जलि सूत्र "अरुणद् यवनः साकेतम् । पतञ्जलि सूत्र
अयोध्या का इतिहास पृष्ट १०१