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अयोध्यो का इतिहास।
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भगवान सिद्धार्थ बुद्धदेव थ श्रावती में रहे और माधु हुये अयोध्या [ प्रो युटो] विश पा मे १६ साल चतुर्मास करके सूत्रोंकी रचनाकी धर्मोपदेश किया और कुशीनगर मे ( कुसिया गोरखपुर के पास मे ) निर्माण को प्राप्त हुये तब से कुछ अयोध्या का पता चलता है और वौदों के समय अपोध्या अच्छी रही।
इ० म पर्व ५ ७ में साम्प्रतकल में चर्मतीर्थ र भगवान श्रीमहावीर स्वामी कुगड ग्राम में जन्म लिया दिक्षालेकर जैन धर्म का "अरिहंत" धर्म का सिद्धांत समझ.कर 'असा परमो धर्म' का झंडा सारेभारतवर्ष मे फहराया श्रीमहावीर प्रभुने १२ वर्ष छमस्थ अवस्थामें वि र कर गांव के बाहर चैत्य के पास ऋजु वालुका नदी के तट पर श्यामक ग्रहपती के क्षेत्र मे श लत के नीचे बैसाष शुक्ल १० हस्त उत्तरा नक्षत्र मे कैवल्य ज्ञान हुवा - इस वक्त और भगवान पार्श्वनाथ के वक्त उत्तर प्रान्त मे जैन धर्म अच्छा चला और श्रीअयोध्याजी में ( लब्धी शास्त्री ) गौतम गणधर स्वामी ये शास्त्रों- सूत्रों की रचना स्वर्ग: द्वारी के श्रीआदिश्वरजो के चैत्यालय में बैठकर किया था उस वक अयोध्या अच्छी रही श्रीमहावीरप्रभु और भगवान बुद्ध के समय में अयोध्या छोड़कर श्रवस्ती नगरी उत्तर कौशल देश का रजधनी रही उपयुक्त शहरों में श्रीमहायो