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अयोध्या का इतिहास |
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कायम कर इस पूर्व ४२२ में नन्दवंश चलाया जो राजा वौद्ध और जैनधर्म पालना था इस राज्य काल मं ३६ वर्ष तक अयोध्या को कोई सझालने वाला न रहा नन्द राजा के भद्र चक में राज ग्रहीनगरी में इ० स० पूर्व ६०० की श्री अरिहंत की प्रतिमा स्थापनकर चैत्यालय वनवाया था और नन्द राजा के प्रधान शकाडल के पुत्र ने जैनधर्म अंगीकार कर श्रीस्थूलिभद्र स्वार्म) हुये इ० स° पूर्व ४०० जिन ने जैनधर्म का प्रचार किया ।
मौर्यकुल वंशी गुप्त राज्य काल ।
इ० स० पूर्व ३२२ में कोलिय चाणक्य ब्राह्मण के हाथ से नन्द वंश का नाश हुआ पाटलीपुर मगध देश की गद्दी पर प्रथम राजा चन्द्रगुप्त भारूढ हुये आप के समय अलेकझएडर माया था और सिकन्दर युनानी राजा के साथ लड़ाई में सन्धि करली और सोल्युकस नाम का एलची भारतकी राज्य सभा में दाखिल किया आपने सोल्युकस की वहिन के साथ व्याह करके एशिया खण्ड का समस्त हिन्दुवों का साथ छुड़ा हुम्री सम्बन्ध फिरसे जोड़लिया भाप के पुत्र विन्दुसार भद्रसार ने मण्डलेश्वरोंसे लड़ाईको और आपके वाद गद्दावर वैठे