Book Title: Ayodhya ka Itihas
Author(s): Jeshtaram Dalsukhram Munim
Publisher: Jeshtaram Dalsukhram Munim
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अयोध्या का इतिहास।
। १६ ]
समस्त आर्यावर्त अन्तर्गत राजा महाराजाओं को साय: लेकर सम्राट- श्रीभरतेश्वरजी वन्दना को पधारे तो क्या देखा कि अमरापुरी के देवताओं ने मण्डप और समवसरण वनाया है त्रीगडापर भावमण्डप में भगवान
संघशेत्रंजय ऊपर चढ्यो; फरसंतां पताक उडपडयो । केवल ज्ञानी पगलातिहां; प्रणम्या रायण रुखघेजिहां ॥ केवल ज्ञानी स्नात्र निमित्त; इशानेन्द्र प्राणी सुपवित्त । नदी शेत्रंजी सोहामणी भरते दीठी कौतुक भणी ॥ गणधर देवतणे उपदेश; इन्देवलिदीधो आदेश । आदिनाथ तणो देहरो; भरते काराव्यो गिरि सेहरो ॥ सोनाना प्रासाद उत्तंग; रत्नतणी प्रतिमा मनरङ्ग । भरते श्रीअादीश्वरतणी; प्रतिमा स्थापी सोहामणी ॥ . मरुदेविनी प्रतिमावली; माहीपुनम थापी रली । ब्राह्मि सुंदरी प्रमुख प्रासाद; भरत थाप्या नवले नाद ॥ एम अनेक प्रतिभा प्रासाद; भरकराव्या गुरु प्रासाद ।
एह भण्यो पहेलो उद्धार; सघलोही जाणे संसार ॥ ... सवतचार सत्योतरे (४७७ ) हुवाधनेश्वर सूरि । .. तिण शेर्बुजय महात्म; कहयुं शिलादित्य हुजूर ॥ शेजय महात्म ग्रन्थथाये; रासरच्यो अनुसार ।

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